गन पाउडर बताएगा जालौन इंस्पेक्टर की कैसे हुई मौत; आत्महत्या या सिपाही मीनाक्षी ने मारी थी गोली?
जालौन में इंस्पेक्टर अरूण कुमार राय की मौत के मामले की जांच वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है. इस मामले में गन पाउडर रिज़िड्यू (GSR) टेस्ट का भी सहारा लिया गया. इसकी रिपोर्ट आने के बाद तय हो जाएगा कि गोली किस दिशा से चली, कितनी दूरी से फायर हुई और ट्रिगर दबाने वाले की असल पोजीशन क्या थी.
जालौन के कुठौंद थाना प्रभारी निरीक्षक अरुण कुमार राय की रहस्यमयी मौत की जांच अब वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक टीम की शुरुआती जांच के बाद यह तय हो गया है कि इस केस का अब असल सच इंस्पेक्टर के कमरे से मिले गन पाउडर रिज़िड्यू के जरिए ही पता चल पाएगा. माइक्रो स्तर पर बचे हुए ये इस बात का खुलासा करेंगे कि गोली किस दिशा से चली, कितनी दूरी से फायर हुई और ट्रिगर दबाने वाले की असल पोजीशन क्या थी.
ये फैक्टर जो मोड़ देंगे केस
फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि गोली चलने के दौरान निकलने वाले धुएं, अनबर्न्ड पाउडर और प्रेशर वेव्स कमरे में एक खास पैटर्न छोड़ते हैं. यही पैटर्न घटना की हकीकत बयान करता है. इसमें दीवारों पर चिपका पाउडर, फर्श और बेडशीट पर बिखरे सूक्ष्म कण, हथियार के चैम्बर में बचा पाउडर, इंस्पेक्टर के शरीर पर संभावित पाउडर टैटूइंग. ये सभी तत्व अब इस मामले का खुलासा करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
टीम की तरफ इस दिशा में भी जांच की जा रही है कि शॉट के समय कमरे में हवा किस दिशा में बह रही थी. धुआं किस तरफ जमा हुआ. साथ ही फायर की पोजीशन किस एंगल से मेल खा रही है. ऐसे में अगर कमरे में मौजूद किसी और व्यक्ति के कपड़ों या हाथों पर GSR मिला तो जांच का पूरा फोकस उसी दिशा में शिफ्ट हो जाएगा.
कमरे की माइक्रो मैपिंग
फॉरेंसिक विशेषज्ञ कमरे के हर इंच को स्कैन कर रहे हैं. माप, दूरी और एंगल की गणना करके एक “माइक्रो-मैप” तैयार किया जा रहा हैय यह बताएगा कि उस रात कमरे में क्या हुआ. दीवारों, दरवाजों, बेडशीट, फर्श और यहां तक कि खिड़की तक को माइक्रोस्कोपिक स्कैनिंग की जा रही है.
लेजर लाइन टेस्ट और हथियार के चैम्बर की जांच
इस केस में लेजर लाइन टेस्ट की भी सहायता ली जा रही है. इसमें लेजर की एक पतली रोशनी दीवार पर लगे इम्पैक्ट पॉइंट से जोड़कर गोली का ट्रैक और एंगल निकाला जाता है. यह तकनीक बताती है कि गोली ऊपर से चली नीचे से, सामने से या तिरछा. इसके अलावा हथियार के चैम्बर की जांच भी की जा रही है. इसमें बंदूक की नली और ट्रिगर के पास बचा अनबर्न्ड पाउडर यह संकेत देगा कि गोली कितनी दूरी से चलाई गई. करीब से फायर में पाउडर अधिक मिलता है. वहीं, दूरी बढ़ने पर पैटर्न बदल जाता है.
कपड़ों और हाथों के सैंपल
कमरे में मौजूद किसी भी व्यक्ति के हाथ, कलाई, कपड़े, बैग और मोबाइल तक से GSR सैंपल लिए जा रहे हैं. अगर किसी के हाथ पर प्राइमर कण मिले, तो यह सीधे बताता है कि उसने गोली के समय हथियार पकड़ा था या बेहद नजदीक मौजूद था.
सबकुछ साफ कर देगा गन पाउडर
फॉरेंसिक टीम के अनुसार गन पाउडर रिज़िड्यू ऐसा सबूत है जो असल कहानी सामने रख देती है. दरअसल, इंसान बयान बदल सकते हैं लेकिन पाउडर कण की दिशा, घनत्व और फैलाव कभी झूठ नहीं बोलते . यही कारण है कि इसे फॉरेंसिक साइंस का सबसे भरोसेमंद वैज्ञानिक आधार माना जाता है.
हादसा, आत्महत्या या साजिश?
वैज्ञानिक टीमें अब रिपोर्ट का इंतजार कर रही हैं. रिपोर्ट से पता चलेगा गोली खुद चलाई गई या किसी और ने चलाई. ट्रिगर एक हाथ से दबा या दो हाथों से, फायर बहुत करीब से हुआ या दूरी से. गोली चलते समय कमरे में और कौन मौजूद था. इन वैज्ञानिक तथ्यों से ही यह राज खुलेगा कि इंस्पेक्टर की मौत हादसा, आत्महत्या या किसी साजिश का हिस्सा थी.
