कीपैड फोन के जरिए आतंकियों से कांटेक्ट, बहन शाहीन से लगातार कर रहा था बातचीत, डॉ. परवेज पर बड़ा खुलासा

डॉक्टर शाहीन सईद के भाई परवेज अंसारी को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं. एजेंसियों के मुताबिक वह लगातार आतंकियों के संपर्क में था. इसके लिए वह कीपैड फोन का इस्तेमाल कर रहा है. इस दौरान उसकी अपनी बहन डॉक्टर शाहीन सईद से भी लगातार बातचीत हो रही थी.

शाहीन सईद और परवेज अंसारी पर बड़ा खुलासा

दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण कार बम विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियां एक के बाद एक खुलासे कर रही हैं. . जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़े कथित आतंकी नेटवर्क में अब डॉक्टरों की भूमिका उजागर हुई है. लखनऊ से गिरफ्तार डॉक्टर परवेज अंसारी के पास से बरामद पुराने की-पैड फोन ने पूरे मॉड्यूल का नक्शा खोल दिया है.

पूछताछ में खुलासा हुआ कि परवेज मुजम्मिल जैसे आतंकियों के संपर्क में था. इसके अलावा अपनी बहन डॉक्टर शाहीन शाहिद से भी लगातार बातचीत कर रहा था. डॉक्टर शाहीन ही फरीदाबाद माड्यूल की मुख्य कड़ी साबित हुई है. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, परवेज के पास से तीन पुराने की-पैड फोन, एक हार्ड डिस्क और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद किए गए हैं.

साजिश में शामिल शाहीन का भाई डॉ परवेज

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि ये फोन आधुनिक स्मार्टफोन्स की निगरानी से बचने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. की-पैड फोन आतंकियों का पुराना हथकंडा है, जो ट्रेसिंग से बचाता है. परवेज इनके जरिए पाकिस्तानी हैंडलर्स और साथी डॉक्टरों को कोडेड मैसेज भेजता था.

बहन शाहीन और मुजम्मिल का कनेक्शन

पूछताछ में परवेज ने कबूल किया कि वह अपनी बहन शाहीन से नियमित संपर्क में था. शाहीन, जो लखनऊ में प्रैक्टिस कर चुकी है, फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर मुजम्मिल शकील गनाई की कथित प्रेमिका थी. मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद शाहीन की कार से एक AK-47 राइफल और गोला-बारूद बरामद हुआ था.

चैट ग्रुप से रची साजिश गई साजिश

सूत्रों के मुताबिक शाहीन ने खुलासा किया कि परवेज भी उसी व्हाट्सएप चैट ग्रुप का हिस्सा था, जिसमें मुजम्मिल, डॉक्टर आदिल अहमद राठर और JeM का मुख्य आरोपी उमर नबी शामिल थे और दो साल से अमोनियम नाइट्रेट जमा कर रहे थे. इन विस्फोटकों के जरिए दिल्ली, फरीदाबाद और अन्य NCR शहरों को निशाना बनाने की साजिश थी. परवेज को मॉड्यूल में डॉक्टरों को कट्टर बनाने और विस्फोटक सप्लाई का जिम्मा सौंपा गया था. यह नेटवर्क घाटी से फरीदाबाद तक फैला था.

300 किलो अमोनियम नाइट्रेट अब भी लापता

सबसे चिंताजनक खुलासा यह है कि कुल 3,200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की खेप में से 2,900 किलो तो बरामद हो चुका है, लेकिन 300 किलो अभी भी लापता है. यह विस्फोटक नेपाल-बांग्लादेश रूट के जरिए किसी फर्टिलाइजर कंपनी से चोरी कर भारत लाया गया था. फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर तागा गांवों से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, दो AK-47, पिस्टल, 200 राउंड गोला-बारूद, 20 इलेक्ट्रॉनिक टाइमर और IED कंपोनेंट्स जब्त किए गए.

अब भी 300 किलो अमोनियम नाइट्रेट अलग-अलग ठिकानों पर छिपा हुआ है. यह अभी भी खतरा है. अगर ये IED में तब्दील हो गया, तो कई शहरों में धमाके हो सकते हैं. सुरक्षा एजेंसियां पूरे रूट को अलर्ट कर चुकी हैं. नेपाल बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी गई है. बांग्लादेश से आने वाली खेपों की भी स्कैनिंग हो रही है.

JeM का सबसे बड़ा मॉड्यूल बेनकाब

JeM के पाकिस्तानी हैंडलर उमर बिन खत्ताब (उर्फ हरजुल्ला) के संपर्क में ये सभी डॉक्टर थे, जो ऑपरेशन सिंदूर (पाकिस्तानी HQ पर हमला) का बदला लेने की साजिश रच रहे थे. इस नेटवर्क का पर्दाफाश जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से हुआ. गिरफ्तार आठ संदिग्धों में तीन डॉक्टर मुजम्मिल, आदिल और शाहीन शामिल हैं. परवेज की गिरफ्तारी के बाद UP ATS ने लखनऊ के मुत्ताकीपुर और लालबाग इलाकों में छापे मारे.

इस मामले में शोपियां के मौलवी इरफान अहमद वागेय को भी हिरासत में लिया गया, जो डॉक्टरों को कट्टर बनाने का मास्टरमाइंड था. गुरुग्राम के एक अमोनियम नाइट्रेट सप्लायर पर भी नजर है. इसके ठिकानों पर जल्द छापेमारी हो सकती है. कुल बरामदगी में अमोनियम नाइट्रेट के अलावा पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर और रिमोट कंट्रोल डिवाइस शामिल हैं. यह मात्रा सैकड़ों शक्तिशाली IED बनाने के लिए काफी थी.

दिल्ली कार ब्लास्ट में इसी विस्फोटक का इस्तेमाल

विशेषज्ञों के मुताबिक, अमोनियम नाइट्रेट गर्मी से प्रज्वलित होकर भयानक विस्फोट पैदा करता है. पुलवामा अटैक (2019) में यही इस्तेमाल हुआ था. अगर 300 किलो का बचा हिस्सा फट गया, तो 50-100 मीटर के दायरे में तबाही मच सकती है. दिल्ली ब्लास्ट में उमर ने i20 कार में इसी को पैक किया गया था.

अब इन डॉक्टरों के अंतरराष्ट्रीय लिंक्स हो रही जांच

सुरक्षा एजेंसियां अब JeM के अंतरराष्ट्रीय लिंक्स की जांच कर रही हैं. केंद्रीय एजेंसियां (NIA) मामले की कमान संभाल चुकी हैं. फिलहाल, परवेज और अन्य आरोपी जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में हैं. उनसे पूछताछ जारी है. देश के कई हिस्सों में रेड्स चल रही हैं, ताकि बाकी मॉड्यूल को नेस्तनाबूद किया जा सके. यह घटना न केवल सुरक्षा चूक की याद दिलाती है, बल्कि पेशेवरों के कट्टरकरण की साजिश को भी उजागर करती है. सरकार ने कहा है कि आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रहेगा. क्या यह नेटवर्क का अंत है या अभी और खुलासे बाकी हैं?