शिक्षा चयन आयोग करेगा मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति! प्रस्ताव तैयार, कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार

उत्तर प्रदेश में अनुदानित मदरसों में अब शिक्षकों की नियुक्ति मैनेजमेंट के बजाय शिक्षा चयन आयोग करेगा. यह प्रस्ताव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने तैयार कर सरकार को भेज दिया है. हालांकि इस प्रस्ताव पर अभी कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है. इससे मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में अनुदानित मदरसों में अब मैनेजमेंट की मनमानी नहीं चलेगी. स्कूलों की तरह ही अब मदरसों के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा चयन आयोग करेगा. इस संबंध में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया है. जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. जहां इस पर विचार करने के बाद इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा. यह व्यवस्था पिछले दिनों मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति में आई गडबड़ी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

इन्हीं मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसों में शिक्षण व्यवस्था में सुधार लाने और शिक्षकों की नियुक्ति के लिए व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए थे. इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड ने बिंदुवार प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है. इसमें बताया है कि प्रदेश में कुल 13329 मान्यता प्राप्त मदरसों का संचालन हो रहा है. इनमें प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर यानी कक्षा 1 से 8 तक के 9,979 मदरसे संचालित हो रहे हैं. वहीं बाकी 3,350 मदरसे माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर यानी कक्षा 9 से 12 तक के हैं.

561 मदरसों को मिलता है अनुदान

अल्पसंख्या कल्याण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय उत्तर प्रदेश में कुल 561 मदरसों को सरकार से अनुदान मिलता है. इन मदरसों में 231806 छात्र पंजीकृत हैं. इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में संचालित सभी मदरसों में कुल मिलाकर 12 लाख 35 हजार 400 छात्रों की शिक्षा दीक्षा हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक अनुदानित मदरसों में इस समय शिक्षकों की संख्या करीब 9889 है. वहीं 8367 शिक्षणेत्तर भी यहां काम कर रहे हैं. इन सभी को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार 1 जनवरी 2016 से ही वेतन-भत्तों का भुगतान सरकारी कोष से हो रहा है.

अब तक क्या था सिस्टम?

मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अब तक कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी. मदरसा प्रबंधन कमेटी ही अपने हिसाब से इनमें शिक्षकों की नियुक्ति कर लेती थी. यहां तक कि इनमें तैनात शिक्षकों को नवीनतम वेतन मान का लाभ भी कमेटी के फैसले के मुताबिक ही दिया जाता था. ऐसे में नई व्यवस्था लागू होने के बाद मदरसा प्रबंधन कमेटियों के पास यह अधिकार नहीं रह जाएगा. इसी के साथ मदरसों में पाठ्यक्रमों के निर्धारण का अधिकार भी सरकार उनसे ले लेगी. इसकी जगह पर मदरसों में स्कूलों की तर्ज पर कला, वाणिज्य और विज्ञा, गणित आदि विषयों की पढाई होने लगेगी. हालांकि नई व्यवस्था में भी उर्दू, अरबी और फारसी को भी रखा गया है.