योगी सरकार ने किरायदारों को दी बड़ी छूट, अब 500 रुपये में ही करा सकेंगे किरायेदारी रजिस्ट्री

उत्तर प्रदेश सरकार ने किराएदारों को बड़ी राहत दी है. अब किराए पर रहने वाले लोग सिर्फ 500 रुपये खर्च कर किराएदारी की रजिस्ट्री करा सकेंगे. इसके लिए उन्हें अतिरिक्त पैसे नहीं खर्चने होंगे. साथ ही औसत वार्षिक किराया तय करते समय अधिकतम सीमा भी 10 लाख रुपये रखी गई है.

यूपी में किराएदारों को बड़ी राहत

उत्तर प्रदेश में किरायेदारी की रजिस्ट्री को लेकर बड़ा फैसला किया गया है. योगी कैबिनेट ने 10 साल तक की अवधि के किरायानामा विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट मंजूर कर दी है. इसका मकसद भवन स्वामी और किरायेदार दोनों किरायानामा लिखित रूप में तैयार करें और रजिस्ट्री कराएं, जिससे विवाद कम हों. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि वर्तमान नियमों के अनुसार एक वर्ष से अधिक अवधि की किरायेदारी विलेख की रजिस्ट्री अनिवार्य है.

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने आगे कहा, ‘आमतौर पर अधिकांश किरायानामे मौखिक होते हैं या यदि लिखित होते भी हैं तो उनकी रजिस्ट्री नहीं कराई जाती… ऐसे मामलों का पता आमतौर पर जीएसटी विभाग और बिजली विभाग जैसी एजेंसियों की पत्रावलियों की जांच में चलता है और बाद में कमी स्टाम्प शुल्क की वसूली की कार्रवाई करनी पड़ती है… यह भी अनिवार्य है कि किरायेदारी विलेख की रजिस्ट्री हो या न हो, उस पर सही स्टाम्प शुल्क हर हाल में जमा होना चाहिए.’

अब देना होगा सिर्फ इतना पैसा-

  • औसत वार्षिक किराया ₹ 2,00,000 रुपये तक; 01 साल तक 500 रुपये, 1 से 5 साल तक 1500 रुपये, 5 से 10 तक साल 2000 रुपये
  • औसत वार्षिक किराया ₹ 2,00,001 से ₹ 6,00,000 रुपये तक; 01 साल तक 1500 रुपये, 1 से 5 साल तक 4500 रुपये, 5 से 10 साल तक 7500 रुपये
  • औसत वार्षिक किराया ₹ 6,00,001 से 10,00,000 रुपये; 01 साल तक 2500 रुपये, 1 से 5 साल तक 6000 रुपये, 5 से 10 साल तक 10000 रुपये

औसत वार्षिक किराया अधिकतम 10 लाख

इस छूट प्रणाली के तहत किरायेदारी विलेख पर अधिकतम स्टाम्प शुल्क और अधिकतम रजिस्ट्रेशन फीस अब निश्चित राशि से अधिक नहीं ली जाएगी. साथ ही औसत वार्षिक किराया तय करते समय अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये रखी गई है. टोल संबंधी पट्टे और खनन पट्टों को छूट से बाहर रखा गया है ताकि राजस्व हानि न हो.

मंत्री रवींद्र जायसवाल ने क्या कहा?

स्टाम्प एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने बताया कि नई व्यवस्था के अनुसार अधिकतम स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क की सीमा तय कर दी गई है… यह सीमा किरायेदारी की अवधि और औसत वार्षिक किराए के आधार पर लागू होगी… इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा क्योंकि अब किरायेदारी विलेख पर भारी स्टाम्प शुल्क भरने की बाध्यता नहीं रहेगी और लोग अधिक सहजता से रजिस्ट्री करा सकेंगे.