15 Sep 2025
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यूपी में चरकुला, घड़ा, ख्याल, राई, कानरा सहित यूं तो कई सारे डांस फॉर्म है. मगर यहां का शास्त्रीय यानि क्लासिकल डांस न सिर्फ राज्य में लोकप्रिय है. बल्कि, विदेशों में भी ये काफी प्रचलित है.
यहां का एक मात्र क्लासिकल डांस कथक है. कहते हैं कि यूपी में इसकी शुरुआत उस दौरान हुई जब पुजारी मंदिर में कथा बताते थे. उस समय हाव-भाव से कथा का मतलब डांस के रूप समझाए जाने से हुआ.
इस डांस फॉर्म को उस समय वास्तविक रूप से पहचान मिली जब मुस्लिम शासकों के दरबार में इसका प्रदर्शन किया जाने लगा. विशेष रूप से अवध के क्षेत्र में शासक वाजिद अली शाह के दरबार में इसका विकास हुआ.की
कथक के विकास पर अच्छे ढंग से ठाकुर प्रसाद के द्वारा काम किया गया. 20 शताब्दी में कत्थक को आगे ले जाने में लीला सोखे (मेनका) का विशेष योगदान रहा.
उत्तर प्रदेश में शास्त्रीय नृत्य कथक के लिए मुख्य केंद्र लखनऊ है. इस नृत्य के जरिए अपनी पहचान बनाने वाले कलाकारों में बिरजू महाराज, कालका महाराज, सितारादेवी, गोपीकृष्ण चौबे आदि हैं.
इस डांस फॉर्म में आप अगर पढ़ाई करना चाहते हैं तो यूपी के चार संस्थानों से ग्रेजुएशन की डिग्री ले सकते हैं. इन संस्थाओं में बनारस हिंदू विश्व विद्यालय, आगरा विश्वविद्यालय, भातखंडे संगीत संस्थान (लखनऊ), और राष्ट्रीय कथक संस्थान (लखनऊ) से पढ़ाई कर सकते हैं.