10, July 2025
TV9 UP
सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है. सदियों से इसी महीने में कांवड़ यात्रा भी होती रही है, जिसका इतिहास काफी पुराना रहा है.
इस साल सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है जिसका समापन 9 अगस्त को होगी. यह महीना में शिवभक्त कांवड़ में गंगाजल लेकर सैकड़ों किलोमीटर पदयात्रा करते हैं.
शिवभक्त कांवड़ में गंगाजल लेकर महादेव पर चढ़ाते हैं. ऐसा करने से भगवान भोले अपने भक्तों पर विशेष कृपा दिखाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा की शुरूआत किसने की थी?
धार्मिक शास्त्रों के मुतााबिक, सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने यूपी के गढ़मुक्तेश्वर से जल उठाया था. तब से यह चलन अभी तक बरकरार है.
इस हिसाब से भगवान परशुराम पहले कांवड़िए थे. उन्होंने हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर यूपी के बागपत में स्थित 'पुरा महादेव' मंदिर तक पैदल यात्रा की थी.
यूपी के हापुड़ जिले में गंगा नदी के किनारे गढ़मुक्तेश्वर स्थित है. इसका पौराणिक इतिहास रहा है. यह काशी, मथुरा और अयोध्या की एक तीर्थस्थल है. जिसका जिक्र पुराण में मिलता है.
गढ़मुक्तेश्वर में भगवान परशुराम ने शिव मंदिर की स्थापना भी की थी. उस वक्त इस स्थान को खाण्डवी नाम से जाना जाता था. गढ़मुक्तेश्वर महाभारत काल में हस्तीनापुर का हिस्सा था.
यहां पर पांडु पुत्र युधिष्ठिर ने भी भगवान शिव की पूजा की थी. युधिष्ठिर ने श्री श्रीकृष्ण के कहने पर युद्ध में मारे गए सभी लोगों की आत्मा की शांति के लिए यहीं पिंड दान किया था.
इसके बाद यहां हर साल कार्तिक शुक्ल के अष्टमी के दिन मेला लगने लगा. गढ़ मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देशभर से श्रद्धालु के यहां गंगा में डुबकी लगाने आते हैं.