सपना देख बलिया के किसान ने उगाई सेब की फसल, फल लगते ही देखने दौड़े लोग; Photos

कौन कहता है कि सेब की खेती केवल ठंडे प्रदेशों में ही होती है और गर्म प्रदेशों में नहीं हो सकती. उत्तर प्रदेश में बलिया के एक प्रगतिशील किसान ने सेब की खेती कर दिखा दिया है कि ना केवल यहां खेती हो सकती है, बल्कि अच्छा उत्पादन भी लिया जा सकता है. आप भी देखें तस्वीरें

एक दिन सपने में देखा सेब की खेती और फिर बलिया में चिलकहर के किसान मुन्ना यादव ने इस सपने को साकार करने का प्रण ले लिया. उन्होंने इंटरनेट पर काफी रिसर्च किया और चार साल पहले सेब के पौधे मंगाकर अपने खेत में रोप दिया. उनकी मेहनत आज साकार होती नजर आ रही है.
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आज उनकी फसल में फल लग चुके हैं. इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं. मुन्ना यादव कहते हैं कि चार साल पहले उन्होंने केवल 23 पौधे लगाए थे. चूंकि उन्हें उस समय कोई अनुभव था नहीं और उन्होंने बिना मिट्टी की जांच कराए यह पौधे लगा दिए. ऐसे में काफी पौधे नष्ट हो गए. हालांकि उन्होंने उसमें से छह पौधों को बचा लिया था.
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दो साल बाद उन्होंने फिर से 46 पौधे मंगाए. इनमें से काफी पौधे बच गए हैं और करीब दर्जन भर पौधों में फल भी आए हैं. अपनी फसल में फल लगा देखकर उत्साहित मुन्ना यादव कहते हैं कि जल्द ही वह काफी बड़ा सेब का बगान लगाने वाले हैं. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है.
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उन्होंने कहा कि जब उन्होंने सेब की फसल लगाई तो लोग हंसते थे. कहते थे कि ठंडे प्रदेश में होने वाली फसल यहां कैसे होगी. उन्होंने भी काफी रिसर्च किया. इसमें पता चला कि सेब की एक वेराइटी ऐसी भी है जो गर्म प्रदेश में होती है. उन्होंने इसी वेराइटी के पौधे मंगा रोपे और उसका परिणाम सामने नजर आ रहा है.
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मुन्ना यादव के मुताबिक हिमाचल और कश्मीर में सेब की खेती खूब होती है, लेकिन ऑफ सीजन में सेब काफी मंहगा बिकता है. जबकि उनके खेत में तैयार होने वाली फसल ऑफ सीजन में निकलेगी. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो सकती है. मुन्ना यादव के मुताबिक इससे क्षेत्र के किसानों को भी प्रेरणा मिलेगी और वह भी इस तरह की खेती कर सकेंगे.
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चिलकहर के गौरा गांव में रहने वाले किसान मुन्ना यादव ने इंटर मीडिएट तक की पढ़ाई की है, लेकिन उनकी गिनती प्रगतिशील किसानों में होती है. उन्होंने बताया कि हरिमन शर्मा द्वारा खोजी गई प्रजाति के पौधे उन्होंने अपने खेत में लगाए हैं. ये पौधे अधिक तापमान में भी अच्छी तरह से सर्वाइव कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि उनके बागीचे में फिलहाल तीन प्रजातियों के पौधे हैं.
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