Mukesh Mishra

मुकेश मिश्रा बलिया से रिपोर्टर हैं. 15 वर्ष से पत्रकारिता का अनुभव है. वह टीवी 9 भारतवर्ष से पहले समाचार प्लस में काम कर चुके हैं.

Mukesh Mishra

बलिया के शंकरपुर में स्थित मां शाङ्करी देवी के मंदिर का वर्णन दुर्गा सप्तशती, वाराह पुराण और मार्कण्डेय पुराण में है. इस मंदिर की स्थापना राजा सूरथ ने माता की कृपा और उन्हीं की प्रेरणा से कराई थी. दुर्गा सप्तशती के कवच मंत्र के मुताबिक मां शाङ्करी कर्णमूल की रक्षक हैं और कानों के रोगों, पीलिया आदि में चमत्कारिक लाभ प्रदान करती हैं.

दुर्गा सप्तशती तो आप पढ़ते ही होंगे. मां भवानी को बेहद प्रिय इस ग्रंथ के पहले अध्याय में जिस प्रसंग का विवरण है, वह उत्तर प्रदेश के बलिया में घटित हुआ था. यह वही स्थान है, जहां मां दुर्गा ने पहली बार अपने भक्तों के दुख हरण के लिए धरती पर अपने कदम रखे थे. इस कथा में सदाबहार सुरहा ताल और वसंतपुर की कहानी है. ब्रह्माइन मंदिर समेत अन्य चार मंदिर भी इस पौराणिक कथा के साक्षी हैं.

बस कुछ ही समय में देश के अलग-अलग हिस्सों में दुर्गा पूजा की धूम देखने को मिलेगी. ऐसे में बलिया में 17 लाख रुपये से दार्जिलिंग की दर्ज पर यहां भव्य पंडाल सजाया जा रहा है. इस बार यहां दुर्गा पंडाल सजाए जाने का 25वां साल है.

उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद की गाड़ी एक हादसे की शिकार हो गई. बलिया हाई-वे पर उनकी कार एक जानवर से टकरा गई. वह रसड़ा की ओर एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे. हादसा में उनकी कार का बोनट क्षतिग्रस्त हो गया है. वहीं, मंत्री संजय निषाद बाल-बाल बचे हैं.

बलिया के मनियर का नवका बाबा मंदिर प्रेत बाधा, चर्म रोग और मानसिक समस्याओं के निदान के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर की स्थापना दो भाइयों ने की थी, जिन्हें एक डायन ने मार दिया था. हालांकि इन भाइयों के तेज से वह डायन भी भस्म हो गई थी. उसी समय से इस मंदिर में भूतों का मेला लगता है. इस मंदिर में प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए देश भर से लोग आते हैं.

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक रहस्यमयी मठ है. मून बाबा की कुटिया के नाम से पहचान वाले इस मठ को लेकर मान्यता है कि इसके चारों ओर एक अदृश्य लक्ष्मण रेखा खिंची है. कोई भी मठाधीश पीढ़ियों से इस रेखा को पार नहीं करते, क्योंकि ऐसा करने पर अनिष्ट होने की आशंका रहती है. यह परंपरा बाबा कपिलमुनि पांडेय के समय से चली आ रही है.

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में देर रात शादीशुदा महिला को पति की गैरमौजूदगी में एक युवक के साथ पकड़ा गया. महिला की शादी तीन महीने पहले हुई थी. ससुरालवालों ने उसे किसी दूसरे युवक के साथ पकड़ लिया. युवक महिला के पति के बुआ का बेटा ही था.

पूर्व मंत्री और समाजवादी नेता राम गोंविद चौधरी की कहानी काफी इंट्रेस्टिंग है. 1977 के लोकसभा चुनाव के दौरान, जब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर नामांकन करने जा रहे थे, उसी समय जेल से राम गोविंद चौधरी की रिहाई हुई. उन्हें रिहा कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में छात्र जेल पहुंचे हुए थे. इस काफिले को देखकर चंद्रशेखर इस कदर प्रभावित हुए कि उन्हें बुलाकर अपना साथी बना लिया था. राम गोविंद चौधरी, एक प्रखर छात्र नेता रहे हैं और उन्होंने इमरजेंसी के दौरान संपूर्ण आजादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था.