महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में 9 अगस्त 1942 को बलिया में व्यापक विद्रोह हुआ. आक्रोशित जनता ने सरकारी खजाना लूटा, कलेक्ट्रेट पर हमला किया और रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया. उस समय बलिया के बागियों ने एक ट्रेन पर कब्ज़ा कर लिया और उसे आज़ादी एक्सप्रेस के नाम से लखनऊ तक चलाया. यह ट्रेन अंग्रेजों के खिलाफ जनसमर्थन का प्रतीक बन गई.
बलिया में NH 31 पर बने पुल को लेकर यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह काफी भड़कते नजर आए. इस बीच वे अधिकारियों पर बसपा विधायक के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते दिखे. मामला पुल के उद्घाटन को लेकर शुरू हुआ जिसे लेकर मंत्री ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने ये काम बसपा विधायक के इशारे पर किया.
पूरा देश अगस्त क्रांति दिवस मनाता है तो उत्तर प्रदेश का बलिया अलग से बलिया क्रांति यानी बलिदान दिवस मनाता है. इस बलिया क्रांति के पीछे बलिया की बगावत और देश की आजादी से पांच साल पहले आजाद होने की कहानी छिपी है. बलिया क्रांति गांधी जी की गिरफ़्तारी की खबर के बाद जन विद्रोह के रूप में शुरू हुई थी, जिसे अंग्रेजों ने बगावत नाम दिया था.
बलिया में एक सरकारी आदेश सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. इस आदेश में कहा गया है कि सरकारी जमीनों पर काबिज यादव और मुस्लिम समाज के लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर अवैध कब्जा हटाया जाए. हालांकि आदेश वायरल होने के बाद बलिया जिला प्रशासन ने इसका खंडन भी किया है. कहा कि यह आदेश "गलती से" जारी हो गया था. फिलहाल इस घटना ने राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है.
बलिया रेलवे स्टेशन पर GRP ने चेकिंग के दौरान 53,96,500 रुपयों की नकदी बरामद की. खुफिया जानकारी के आधार पर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में चेकिंग के दौरान एक शख्स को पकड़ा गया, जिसके पास इतनी भारी मात्रा में कैश मौजूद था. जब उससे पूछताछ की गई तो वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. अब आयकर विभाग इस मामले की जांच कर रहा है.
देश भले ही 1947 में आजाद हुआ, लेकिन बलिया ने 1942 में ही आजादी का स्वाद चख लिया था. आजादी के जिस आंदोलन को पूरा देश अगस्त क्रांति के रूप में मनाता है, उसे बलिया वाले आज भी बड़े गर्व के साथ बलिया क्रांति या बलिदान दिवस के रूप में मनाते हैं. इस उत्सव में बड़ी बात यह है कि आज भी बलिया के बागी जेल पर धावा बोलते हैं और ताला तोड़ कर कैदियों को आजाद कराते हैं. फिर आजादी के तराने गाते हुए कलक्ट्रेट पर तिरंगा फहराते हैं.
आमतौर पर जहरीले सांप के काटने से किसी भी शख्स की मौत हो सकती है, लेकिन बलिया में एक ऐसा गांव है जहां पर मान्यता है कि सांप के काटने से किसी की भी मौत नहीं होती है.
लंदन के नक्शे पर बनाई गई बलिया की ये गलियां मौजूदा वक्त में कूड़े के ढ़ेर में तब्दील हो चुकी हैं. हांलाकि ये अब भी पुराने दौर की याद दिलाती हैं. आखिर ये गलियां शहर के लिए कैसे अहम हैं, आपको बताते हैं.