कूप पूजन करने वालों के बन जाते हैं सारे काम… कोई नहीं लौटता खाली, जानें कल्याणी देवी शक्तिपीठ की कहानी

कल्याणी देवी शक्तिपीठ में सुहागिने अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना और पुत्र प्राप्ति के लिए जुटती हैं. यह इकलौता ऐसा शक्तिधाम है, जहां श्रद्धालु बासी प्रसाद चढ़ाते हैं और बाद में उसे खुद भी ग्रहण करते हैं. इस मंदिर में बने कूप की पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

शारदीय नवरात्र चल रहा है. इस दौरान मंदिरों में खूब भीड़ उमड़ रही है. प्रयागराज में भी ऐसा ही एक शक्तिपीठ है, जहां इन दिनों पैर रखने तक की जगह नहीं है. नवरात्रि को देखते हुए कल्याणी देवी शक्तिपीठ में देवी के दर्शन के लिए सुबह से ही लोग लाइनों में लग रहे हैं.
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भक्तों के कष्ट को दूर करने के लिए मां भगवती कई रूपों में आती है. इसमें से एक हैं शक्ति स्वरूप माता कल्याणी. प्रयागराज के जमुना तट पर स्थित इस शत्तिपीठ पर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना और पुत्र प्राप्ति के लिए सुहागिने जुटती हैं.
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माता कल्याणी देवी इकलौता ऐसा शक्तिधाम है, जहां श्रद्धालु बासी प्रसाद चढ़ाते हैं और बाद में उसे खुद भी ग्रहण करते हैं. कल्याणी देवी शक्तिपीठ के बारे में मान्यता है कि यहां मंदिर परिसर में बने कूप का पूजन करते वक्त भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं. कूप पूजन की पंरपरा इस मंदिर की खास विशेषता है.
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माता कल्याणी को प्रयाग की अधिष्ठात्री माना जाता है. तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ में लिखा “अंगुली वृन्दहस्तस्य प्रयागे ललिता भव” यानी की सती की हस्त अंगुलियां गिरने से प्रयाग में देवी ललिता और भव नामक भैरव प्रतिष्ठित हुए. पदमपुराण में उल्लेख मिलता है कि शूलटंकेश्वर महादेव के उत्तर में ललिता हैं जो कल्याणी के नाम से विख्यात है.
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दोनों धार्मिक किताबों में लिखा है कि माता का दर्शन और पूजन करने भर से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. माता कल्याणी धाम इकलौता ऐसा मंदिर है जो शूलटंकेश्वर के उत्तर दिशा में स्थित है. माता कल्याणी के मंदिर के पीछे अत्यन्त प्रचीन श्री भवनाथ भैरव जी का मंदिर है.
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मत्स्य पुराण में 108 पीठो का वर्णन है. इसमें कल्याणी (ललिता) देवी का नाम सबसे पहले आया है. पुरातात्विक साक्ष्य भी कल्याणी देवी मंदिर को शक्तिपीठ होने का प्रमाण देते हैं. ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार त्रेता युग में महर्षि याज्ञवल्क्य ने यहां माता की आराधना करके माँ कल्याणी शक्तिपीठ पर 32 अंगुल प्रतिमा की स्थापना की थी. माता कल्याणी ही महर्षि भारद्वाज की अधिष्ठात्री देवी हैं.
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हर साल कल्याणी देवी मंदिर में चैत्र कृष्ण अष्टमी, चैत्र एवं अश्विन नवरात्र में विशाल मेला, शतचण्डी महायज्ञ, श्रीराम कथा, श्री देवी भागवत पुराण कथा, विशाल भण्डारा और मां के भव्य श्रृंगार का आयोजन होता है. इस मेले में कई जनपदों के लाखों श्रद्धालु देवी का दर्शन करने आते हैं.
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मंदिर के मुख्य पुजारी सुशील पाठक बताते हैं कि कल्याणी देवी बगल में भैरवनाथ का प्राचीन मंदिर. वह हमेशा मां की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं. माता के दरबार में दूर दूर से श्रद्धालु जो भी कामनाएं लेकर आते हैं. मंदिर परिसर में बना मनोकामना कूप भक्तों की सभी कामनाएं पूरी करता है.
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