UP में एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी, ‘शुगर बाउल’ के नाम से है पहचान; देखें PHOTOS
मुजफ्फरनगर का गुड़ देश-विदेश में अपनी मिठास के लिए एक अलग ही पहचान रखता है. विश्व में इसकी पहचान शुगर बाउल के तौर पर भी है. लेकिन यहां के गन्ना किसानों की तकदीर तब बदली जबसे यहां के गुड़ को जीआई टैग मिला.
यूपी के मुजफ्फरनगर को शुगर बॉउल के तौर पर जाना जाता है. यहां एशिया की सबसे बड़ी गुड़ उत्पाद मंडी भी है. यहां की मुख्य फसल गन्ना है. अधिकतर किसान इसी फसल पर निर्भर रहते हैं. यहां के गन्ने से बनने वाली चीनी और गुड़ देश-विदेश में अपना एक अलग ही मुकाम है.
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देश के अन्य जगहों पर भी गुड को बनाया जाता है. लेकिन मुजफ्फरनगर का गुड़ देश-विदेश में अपनी मिठास के लिए एक अलग ही पहचान रखता है. ये गुड़ अपने उम्दा स्वाद के लिए भारत ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है.
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मुजफ्फरनगर में कई हजार कोल्हू हैं. वहीं आठ शुगर मिल टिकोला चीनी मिल्स, आईपीएल शुगर मिल, तितावी शुगर मिल, त्रिवेणी शुगर मिल, मंसूरपुर शुगर मिल, उत्तम शुगर मिल, बजाज शुगर मिल, डिस्ट्रलिज भी हैं. यहां के कोल्हुओं में तकरीबन 118 तरह का गुड़ तैयार किया जाता है. इसकी ज्यादातर सप्लाई विदेशों में होती है.
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यहां के गुड़ को जीआई टैग भी मिल गया है. इसके चलते पूरे भारत में इस गुड़ की मांग कई गुना बढ़ गई है. इसका असर ये हुआ कि इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है, जिससे उनका जीवनस्तर पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुआ है.
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जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर जनपद मैं 1954 के दौरान गुड़ की थोक मंडी की शुरुआत की गई थी. इसे अब लोग गुडं मंडी के नाम से जानते हैं. यहां हर दिन गन्ने से बने उत्पादन देश-विदेश में भेजे जाते हैं.
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सेहत के नजरिए से देखें तो गुड़ को एक देसी औषधि माना जाता है. इसका सेवन शरीर में इकट्ठा गंदे जहरीले पदार्थ ( टॉक्सिन) को बाहर निकलता है जिससे खून साफ होता है. साथ ही गुड़ फेफड़ों, सांस की नली, आंत और खाने की नली को साफ रखने में मदद करता है.
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बता दें कि गुड़ का सेवन थकान भी दूर करता है. इसलिए जो शारीरिक मेहनत करते हैं उनके लिए गुड़ बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा गुड़ पाचन रास बढ़ता है और अस्थमा के इलाज में भी उपयोगी माना जाता है.