रात में नहीं, यहां दिन के 12 बजे मनाई जाती है जन्माष्टमी; वृंदावन में भगवान कृष्ण का ये अनोखा मंदिर

ठाकुर राधारमण लाल जी का यह वही मंदिर है, जहां भगवान शालिग्राम शिला से स्वयं प्रकट हुए थे. ठाकुर राधारमण लाल जी का यह विग्रह 480 साल पुराना बताया जा रहा है. दावा किया जाता है कि भगवान के प्रकट होने के बाद से ही यहां जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है.

भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में जन्माष्टमी इस समय जन्माष्टमी की धूम मची है. आम तौर पर मथुरा-वृंदावन समेत पूरी दुनिया में लोग रात में 12 बजे भगवान का जन्मोत्सव मनाते हैं. लेकिन वृंदावन में ही एक ऐसा भी मंदिर है, जहां दिन में ही महोत्सव मना लिया जाता है. इसमें भारी तादात में लोग भी पहुंचते हैं.
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वृंदावन का सुप्रसिद्ध ठाकुर राधारमण लाल मंदिर है. यह वही मंदिर है, जहां भगवान शालिग्राम शिला से स्वयं प्रकट हुए थे. ठाकुर राधारमण लाल जी का यह विग्रह 480 साल पुराना बताया जा रहा है. दावा किया जाता है कि भगवान के प्रकट होने के बाद से ही यहां जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है. यह आयोजन सुबह से ही शुरू हो जाता और देर रात तक जारी रहता है.
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अन्य मंदिरों में जहां ठाकुर जी का अभिषेक रात के समय होता है, इस मंदिर में भगवान का दिन में अभिषेक कर उन्हें भोग अर्पित किया जाता है. इसके बाद मंदिर में भव्य भजन किर्तन और भंडारे का आयोजन किया जाता है. यह जानकारी मंदिर के सेवायक पदमनाथ गोस्वामी ने दी.
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उन्होंने बताया कि इस मंदिर में दिन में ही उत्सव मनाने की परंपरा करीब पांच सौ साल पुरानी है. ठाकुर राधारमण लाल जी मंदिर की इस परंपरा को लेकर वह कहते हैं कि गोपाल भट्ट गोस्वामी जिन्होंने अपनी साधना से ठाकुर राधारमण लाल जी को प्राप्त किया था, ने शुरू किया था.
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दरअसल उस समय वृंदावन इतना बड़ा नहीं था. भक्तों की संख्या भी कम थी. इसलिए लोगों की सुविधा के लिए गोपाल भट्ट गोस्वामी, सनातन गोस्वामी और रूप गोस्वामी ने मिलकर निर्णय लिया कि यहां दिन में और गोविंद देव मंदिर में रात में जन्माष्टमी मनाई जाएगी और तब से यही परंपरा कायम है.
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इस परंपरा का एक भाव यह भी है कि इस मंदिर में ठाकुर जी की सेवा बालक रूप में होती है. चूंकि बालक रूप में रात्रि में अभिषेक नहीं करते, इसलिए भगवान काअभिषेक दिन में ही करा दिया जाता है.
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इस साल भी ठाकुर राधारमण लाल जी मंदिर में सुबह 9:00 बजे अभिषेक होगा. भगवान के अभिषेक के लिए 3100 लीटर दूध के अलावा दही, घी, बूरा, शहद एवं अन्य सामग्री मंगाई गई है. करीब ढाई घंटे तक चलने वाले इस अभिषेक के लिए गोस्वामी समाज के लोग यमुना रानी से जल भी लेकर आएंगे.
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