छुआरे के लड्डू, साथ में बालूशाही; क्यों फेमस हैं बागपत की ये मिठाइयां? PHOTOS

बागपत के गुड़, होम फर्निशिंग और रटौल आम जैसे उत्पादों को पहले ही GI टैग मिल चुका है. जल्द ही टटीरी की बालूशाही और निरपुडा गांव के छुवारे के लड्डू को भी यह उपलब्धि हासिल हो सकती है. ये दोनों मिठाइयां अपने खास स्वाद के लिए पूरे प्रदेश में मशहूर हैं.

बागपत का पारंपरिक स्वाद एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने जा रहा है. इसके लिए पहल की भी शुरुआत हो चुकी है, जिले की प्रसिद्ध टटीरी की बालूशाही और निरपुडा गांव के छुवारे के लड्डू को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) दिलाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है. ये दोनों मिठाई अपने स्वाद के साथ बनाने की स्पेशल विधि और परंपरागत कारीगरी की वजह से भी बाजारों में खास पहचान रखते हैं.
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बागपत के गुड़, होम फर्निशिंग और रटौल आम जैसे उत्पादों को पहले ही GI टैग मिल चुका है. राष्ट्रीय स्तर पर इनकी खास पहचान बन चुकी है. इन उत्पादों को GI टैग मिलने के बाद जिले की कृषि और कारीगरी आधारित अर्थव्यवस्था में सकारात्मक तब्दीली आई है. अब इसी को देखते हुए यहां के अन्य उत्पादों को राष्ट्रीय पटल पर लाने की तैयारी चल रही है.
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टटीरी की बालूशाही बागपत के पारंपरिक स्वाद का एक प्रतीक माना जाता है. इसे देसी घी के साथ बनाया जाता है. इसका कुरकुरापन अन्य इलाकों की बालूशाही से इसे अलग बनाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि GI टैग मिलने के बाद इसकी एंट्री बाजार में प्रीमियम मिठाई के तौर हो जाएगी.
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मिठाइयों को जीआई टैग मिलने से बागपत मिठाई उद्योग को बड़ा फायदा हो सकता है. स्थानीय कारोबारी तथा कारीगरों की आय में भी इजाफा होगा. इसके अलावा यहां की अन्य प्रसिद्ध मिठाइयों के भी राष्ट्रीय पटल पर छाने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी.
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निरपुडा गांव के छुवारे के लड्डू को पाक के लड्डू भी कहा जाता है. यह अपने पोषण, गुणकारी तत्वों और पारंपरिक निर्माण प्रक्रिया के लिए प्रसिद्ध है. सूखे खजूर और देसी सामग्री से बनने वाले ये लड्डू न सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं लेकिन हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है.
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ततीरी की बालूशाही और निरपुडा गांव के छुवारे के लड्डू को GI टैग मिलने से गांव की महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को अच्छा अवसर मिल सकता है. . बेहतर पैकेजिंग, ई-मार्केटिंग और स्वास्थ्य उत्पाद श्रेणी में प्रमोशन के साथ इन लड्डुओं की मांग कई गुना बढ़ने की संभावनाएं है, जो महिलाओं को अच्छी आमदनी कमाने का मौका दे सकती है.
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बता दें कि बागपत में चावल के लिए ब्लॉक–स्तर पर क्लस्टर मॉडल विकसित करने की तैयारी भी चल रही है. इससे यहां के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और विपणन क्षमता में सुधार आएगा. इन सभी पहलों के साथ बागपत की पारंपरिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया मुकाम मिल सकता है.
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