महाभारत काल के इस मंदिर में आज भी होती है पूजा, दुर्योधन ने कराया था निर्माण, जानिए क्या है खास
वैसे तो पूरे देश में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर इतने प्राचीन हैं कि उनका संबंध महाभारत काल से जुड़ता हुआ दिखाई देता है. ऐसा ही एक शिव मंदिर सहारनपुर में मौजूद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण दुर्योधन ने कराया था और भीम ने अपनी गदा से इसके द्वार की दिशा को मोड़ दिया था.
सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष तौर पे पूजा की जाती है. इसके लिए भक्त शिवालयों में किलोमीटरों लंबी लाइन में खड़े नजर आते हैं.
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प्रत्येक मंदिर का अपना महत्व है और भक्तों की ऐसी मान्यता है कि अलग- अलग मंदिरों में भगवान शिव अपने अलग- अलग रूपों में विद्यमान रहते हैं.
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इन मंदिरों के इतिहास की भी अलग- अलग कहानियां लोकप्रिय हैं. भोलेनाथ के ऐसे भी मंदिर मौजूद हैं, जिनके तार महाभारत काल से जुड़ते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आपको बताने वाले हैं.
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यूपी के सहारनपुर में एक ऐसा ही मंदिर मौजूद है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में दुर्योधन ने कराया था.
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ये मंदिर यहीं के बरसी गांव में मौजूद है इसलिए ये बरसी महादेव के नाम से जाना जाता है. दुर्योधन द्वारा निर्माण किए जाने के बाद जब पांडवों को इसकी जानकारी हुई तो भीम ने अपनी गदा से इसके मुख्य द्वार को पूरब से पश्चिम दिशा की तरफ मोड़ दिया.
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इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि ये एकमात्र देश का ऐसा मंदिर है जिसका द्वार पश्चिम दिशा में है.
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सावन के महीने में यहां हरियाणा दिल्ली समेत कई राज्यों के शिवभक्त कांवड़िए बाबा के दर्शन के लिए आते हैं. सोमवार के दिन यहां खासतौर पे भारी भीड़ देखने को मिलती है.
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ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव यहां साक्षात विराजमान है. इसी वजह से इस गांव में ही नहीं बल्कि आसपास के कई गांवों में होलिका दहन नहीं होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन से जमीन गर्म हो जाएगी और जब भोलेनाथ घूम रहे होंगे तो उनके पांव भी जल सकते है.
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कहा जाता है कि श्री कृष्ण भी एक बार भ्रमण करते हुए इस गांव में आए थे और यहां की भव्यता देखकर उन्होंने इसकी तुलना बृज से की थी जिसके बाद इस गांव का नाम बरसी पड़ा.