वृंदावन के इस मंदिर में दो दिन बाद क्यों मनी जन्माष्टमी? हैरान कर देगी परंपरा

समूचे देश में जन्माष्टमी पर्व दो दिन पहले 16 अगस्त को मनाया गया. लेकिन कुछ वजहों की वजह से इस मंदिर में 18 अगस्त यानी सोमवार को जन्माष्टमी उत्सव आयोजित किया गया था. इस मौके पर दक्षिण भारतीय संतों के साथ मथुरा, वृंदावन के संत और भक्त भी मंदिर में पहुंचे थे.

भगवान कृष्ण की रास स्थली वृंदावन में दक्षिण भारतीय शैली के इकलौते मंदिर श्रीरंगनाथ जी में सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन किया गया. इस मौके पर मंदिर में भव्य सजावट की गई और बड़े धूमधाम से भगवान की महाआरती और पूजन किया गया.
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आम तौर पर समूचे देश में जन्माष्टमी पर्व दो दिन पहले 16 अगस्त को मनाया गया. लेकिन कुछ वजहों की वजह से इस मंदिर में 18 अगस्त यानी सोमवार को जन्माष्टमी उत्सव आयोजित किया गया था. इस मौके पर दक्षिण भारतीय संतों के साथ मथुरा, वृंदावन के संत और भक्त भी मंदिर में पहुंचे थे.
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वृंदावन में ठाकुर जी का यह अपनी तरह का इकलौता मंदिर है. पूरा मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है और यहां पूजा पाठ की परंपरा भी दक्षिण भारतीय है. इस मंदिर में ठाकुर जी भगवान रंगनाथ के स्वरुप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
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अन्य मंदिरों की तरह ही इस मंदिर में भी हर साल जन्माष्टमी उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार भी यहां बड़े भव्य तरीके से उत्सव आयोजित किया गया. इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान रंगनाथ के दर्शन पूजन के लिए पहुंचे.
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इस मंदिर में भगवान कृष्ण का जनमोत्सव नक्षत्रों को प्रधानता देते हुए आयोजित किया जाता है. इसकी वजह से हर साल जन्माष्टमी की तिथियों में अंतर आ जाता है. इसी क्रम में यहां सोमवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया.
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इस मौके पर देर रात्रि भगवान का पांचरात्र की विधि से महाभिषेक किया गया और उसके बाद भगवान लड्डू गोपाल को सोने से बने झूले में विराजमान कर भक्तों ने झूला झुलाया.
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पंचामृत से अभिषेक के बाद भगवान रंगनाथ को चंदन और तुलसी आदि की माला पहनाई गई. इसके बाद भगवान की दिव्य आरती हुई. इस दौरान मंदिर के पुजारी एवं अन्य संतों ने मंत्रोचार करते हुए भगवान की पूजा की. इसके बाद सहस्त्रधारा अभिषेक हुआ.
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अभिषेक और श्रृंगार के बाद भगवान को सोने के हिंडोले में झूला झुलाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु पहुंचे थे. सभी ने भगवान को झूला झुलाने के बादएक दूसरे को भगवान के जनमोत्सव की बधाई दी.
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इस दौरान मंदिर में छप्पन भोग के अलावा भव्य भंडारे और प्रसाद की व्यवस्था की गई. लोगों ने भगवान के जयकारे लगाते हुए प्रसाद ग्रहण किया.
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