यूपी के इस फोर्ट को क्यों कहते हैं ‘बौना चोर किला’? हैरान कर देगा रहस्य; PHOTOS
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के परिसर में स्थित अलीगढ़ डोर फोर्ट को बौना चोर किला नाम से भी जाना जाता है. इस किले को 12वीं शताब्दी में डोर जाति के राजा कुमार पाल ने बनवाया था. आइए जानते हैं कि इस ऐतिहासिक फोर्ट का नाम बौना किला पड़ने के पीछे क्या रहस्य है.
अलीगढ़ का मशहूर “बौना चोर किला” वास्तव में अलीगढ़ शहर के बीचो-बीच स्थित प्राचीन डोर फोर्ट है. लोक कथाओं के चलते इसे “बौना चोर का किला” कहा जाने लगा. इसका असली और ऐतिहासिक नाम अलीगढ़ किला या डोर किला है. यह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के परिसर में स्थित है. यूनिवर्सिटी के जिम्मे ही इसका संरक्षण है.
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यह किला सबसे पहले 12वीं शताब्दी में डोर जाति के राजा कुमार पाल ने बनवाया था. इसलिए इसका मूल नाम “डोर किला” पड़ा. 1524-25 में दिल्ली सल्तनत के अंतिम लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी ने इस किले पर कब्जा कर लिया. फिर से इसका पुनर्निर्माण करवाया. इसके साथ ही वहां मजबूत पत्थर की दीवारें, बुर्ज और गहरी खाई बनवाई.
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इब्राहिम लोदी के बाद यह किला मुगल सम्राट बाबर के हाथ लगा. बाबर ने अपने संस्मरण बाबरनामा में भी इसका जिक्र करते हुए इसे कोल नाम से पुकारा है. यह उस समय अलीगढ़ पुराना नाम था. बाद में यह किला हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां सभी मुगल बादशाहों के अधीन रहा. 18वीं शताब्दी में यह जाट राजाओं, मराठों और फिर फ्रेंच-इंडियन कंपनी के हाथ लगा. 1803 में अंग्रेजों ने इसे पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया.
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लोक कथाओं के अनुसार, एक बार एक बौना (छोटे कद का) चोर इस किले की सुरंगों के जरिए अंदर घुस गया और खजाना लूटकर भाग निकला. कोई उसे पकड़ नहीं सका. उसके बाद से ही इसे “बौना चोर का किला” कहने लगे. यह सिर्फ लोककथा है, लेकिन इतनी मशहूर हो गई कि आज भी गाइड और स्थानीय लोग यही नाम लेते हैं.
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किले के नीचे कई गुप्त सुरंगें हैं जो कथित तौर पर दिल्ली, आगरा और अन्य दूरस्थ किलों से जुड़ी हुई थीं. इनमें से कुछ आज भी मौजूद हैं, लेकिन ज्यादातर बंद कर दी गई हैं. किले के चारों तरफ 30-35 फीट ऊंची दीवारें और गहरी खाई थी. आज भी मुख्य द्वार (सलीम गेट) और दीवारें मौजूद हैं.
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वर्तमान में आज पूरा किला AMU कैंपस का हिस्सा है. मुख्य द्वार को “विक्टोरिया गेट” कहते हैं. आम लोग बिना परमिशन AMU कैंपस में घुसकर किला नहीं देख सकते. लेकिन AMU के छात्र और इतिहास प्रेमी अक्सर गाइड के साथ इसे देखने पहुंचते हैं.
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यह किला इस शहर के 500+ साल पुराने इतिहास, मुगल-लोदी काल की मजबूती और 1857 की क्रांति की गवाही देता है. हर साल 1857 के शहीदों की याद में यहां कार्यक्रम होते हैं. अगर आप कभी अलीगढ़ जाएं तो AMU के इतिहास विभाग से परमिशन लेकर इसे जरूर देख सकते हैं.