एग्जाम क्रेक करने के बाद भी 93 अभ्यर्थी नहीं बन पाए कॉन्सटेबल,’बचपन की लड़ाई’ ने छीनी हाथ आई नौकरी
उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पास करने के बाद भी गोरखपुर में 93 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं मिला है. इसकी वजह इनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले हैं. अब इन अभ्यर्थियों को मुकदमों में बरी होने या सुलह-समझौते के बाद ही अपनी खोई हुई नौकरी पाने का विकल्प है.
खेल खेल में हुआ झगड़ा किस तरह से करियर में बाधा बन सकता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण गोरखपुर में देखने को मिला है. यहां 93 लड़कों को उत्तर प्रदेश कॉन्सटेबल भर्ती परीक्षा पास करने के बाद भी नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में नहीं बुलाया गया. इसकी वजह इनके खिलाफ दर्ज मुकदमे हैं. अब इन युवाओं को नौकरी पाने के लिए एक मात्र विकल्प बचा है कि ये इन मुकदमों में बरी हों. इसके लिए इन्हें या तो मुकदमे में फैसला आने का इंतजार करना होगा या फिर सुलह समझौता कर मामला खत्म करना होगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद रविवार को राजधानी लखनऊ में नियुक्ति पत्र वितरित करने के लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में देश के गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि थे. इस कार्यक्रम में राज्य भर में चयनित अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. इनमें गोरखपुर में चयनित 1498 अभ्यर्थियों में से 1369 अभ्यर्थी भी शामिल हैं. इनमें 268 महिला अभ्यर्थी भी शामिल हैं.
93 कैंडिडेट्स के खिलाफ दर्ज हैं मुकदमे
गोरखपुर पुलिस से प्राप्त इनपुट के मुताबिक पुलिस भर्ती परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद सभी अभ्यर्थियों के बैकग्राउंड की जांच कराई गई. इनमें कई अभ्यर्थियों के शपथ पत्र में गड़बड़ी मिली. वहीं 93 अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज पाए गए. इनमें ज्यादातर के खिलाफ मारपीट और गाली गलौज के मामले हैं तो कुछ अभ्यर्थियों के खिलाफ एनसीआर दर्ज है. इस वजह से इन सभी दागी अभ्यर्थियों का नियुक्ति पत्र होल्ड कर दिया गया है.
अब क्या है उपाय?
एक तो सरकारी नौकरी, ऊपर पुलिस कॉन्सटेबल का रूतबा, नियुक्ति पत्र हाथ से निकलते देखकर सभी अभ्यर्थियों ने चरित्र पर लगा दाग मिटाने की कोशिश कर दी है. खुद पुलिस ऑफिस से ही इन अभ्यर्थियों को जरूरी सलाह दी गई है. इसमें उन्हें बताया गया है कि अब तो उन्हें नियुक्ति पत्र दो ही परिस्थितियों में मिल सकते हैं. पहली परिस्थिति बेदाग साबित होने की है, वहीं दूसरी में हाईकोर्ट का आदेश हो. ऐसे में सभी अभ्यर्थियों ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे में सुलह समझौते की कोशिश तेज कर दी है. हालांकि जिन लोगों ने अपने शपथ पत्र में गलत सूचना दी है, उनके लिए कोई विकल्प नहीं है.