अयोध्या में आज से रामराज! माता सीता संग विराजे प्रभु राम, साथ में तीनों भईया और हनुमान

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 के बाद 5 जून 2025 का दिन काफी अहम है. यहां राम मंदिर के पहले तल पर भगवान राम, माता सीता सहित राम दरबार में मौजूद अन्य गण दिखाई दे रहे हैं. जानते हैं राम दरबार और राम राज्य के महत्व के बारे में.

अयोध्या में आज से रामराज! माता सीता संग विराजे प्रभु राम, साथ में तीनों भईया और हनुमान
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को जब बाल स्वरूप में रामलला राम जन्मभूमि के गर्भगृह में विराजे, तब से अयोध्या में भक्तों का उत्साह सातवें आसमान पर था. लेकिन 5 जून को अयोध्या ने एक और स्वर्णिम अध्याय रच दिया है.
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अयोध्या में आज से रामराज! माता सीता संग विराजे प्रभु राम, साथ में तीनों भईया और हनुमान
इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम राजा राम के रूप में राम मंदिर के प्रथम तल पर अपने राज दरबार में विराजमान हुए हैं. ये अद्भुत दृश्य एक मात्र प्रतिमा नहीं बल्कि, श्रद्धालुओं की भावना से जुड़ा है.
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अयोध्या में आज से रामराज! माता सीता संग विराजे प्रभु राम, साथ में तीनों भईया और हनुमान
अब श्रीराम अब अकेले नहीं हैं ,उनके साथ मां सीता, भ्राता लक्ष्मण, भक्त हनुमान, भरत, शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ भी विराजमान हैं. यह पूरा दृश्य हमें सीधे त्रेतायुग के उस अद्भुत रामराज्य की स्मृति दिलाता है, जिसकी कल्पना वेदों और पुराणों में की गई है.
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भगवान राम का दरबार न्याय, करुणा और धर्म का प्रतीक था. वे सिंहासन पर विराजमान होते हुए, प्रजा के हर सुख-दुख को अपनी ज़िम्मेदारी समझते थे. वे केवल एक राजा नहीं, “राजर्षि” थे जो तप, त्याग और सेवा का जीवंत स्वरूप थे.
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दरबार का दृश्य अद्भुत है, जहां स्वर्ण जड़ित सिंहासन, सिंहों की आकृति से सुशोभित मंच, और उसके चारों ओर खड़े उनके परिजन और सेवक दिखाई दे रहे हैं. यह केवल एक स्थापत्य कला नहीं, यह आस्था का मूर्त रूप है.
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अयोध्या में विराजित राजा राम का दर्शन आज के युग के लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि रामराज्य केवल एक कल्पना नहीं, एक जीवंत प्रेरणा है.यह दरबार हमें स्मरण कराता है कि रामराज्य का अर्थ, सत्य और न्याय का राज्य, प्रजा का कल्याण और राजा की निरंतर सेवा भावना से जुड़ा है.
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