वृन्दावन का राधा रमण लाल मंदिर, जहां स्वयं प्रकट हुए थे ठाकुर जी, रोचक है रहस्य
यूपी में स्थित वृन्दावन एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है. यह भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा है. यहां कई ऐतिहासिक मंदिर हैं. इनमें से एक राधा रमण लाल का मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कोई मुर्ति नहीं, भगवान स्वयं प्रकट हैं.
वृन्दावन, उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थ नगरी है. यह भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा एक अलौकिक स्थल है.
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वृंदावन में हजारों की तादाद में जग-जग मंदिर देखने को मिलते हैं. यहां राधा कृष्ण की आराधना भी देखने को मिलती है. इसे संतों की नगरी भी कहा जाता है.
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राधा कृष्ण की क्रीड़ा स्थली वृंदावन जहां भगवान ने अनेकों लीला की है और कन-कन में राधा कृष्ण के होने का एहसास भी यहां मिलता है.
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राधा रमण लाल मंदिर वृंदावन का सबसे प्राचीन और अद्भुत मंदिरों में से एक है. यहां कोई मूर्ति विराजमान नहीं है. यहां स्वयं प्रकट है राधा रमण लाल.
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वृंदावन का राधा रमण लाल मंदिर लगभग 450 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना 1542 ईस्वी में की गई थी जो कि गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा हुई थी.
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गोपाल भट्ट गोस्वामी श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य थे. एक दिन उन्हें नदी में जल लेते समय शालिग्राम शिला हाथ लगा. तब से वह उसको भगवान कृष्ण का रूप मानकर पूजा करने लगे.
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इसके बाद जब वह पूजा कर रहे थे तो शीला ने ठाकुर राधा रमन लाल का रूप ले लिया. तभी गोपाल बट गोस्वामी द्वारा राधा रमण लाल मंदिर की स्थापना की गई थी. इसलिए इन्हें स्वयंभू कहा जाता है.
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यह भी जाता है कि यह जो विग्रह है सभी मंदिरों में बहुत छोटा विग्रह है. क्योंकि यहां भगवान बाल रूप में विराजमान हैं और उनकी सेवा भी बाल रूप में की जाती है.