ठाकुर बांके बिहारी पहली बार हिंडोले में कब हुए थे विराजमान? देश की आजादी से जुड़ा है राज

वृंदावन में स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर देश के प्राचीन और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. मंदिर में राधा कृष्ण की एकीकृत रूप की मूर्ति त्रिभंग मुद्रा में है.  बांके बिहारी मंदिर में स्वर्ण रजत हिंडोले भी हैं, जिसे 2200 तोला सोना और 1 लाख तोला चांदी से बनाया गया था.

वृंदावन के बिहारीपुरा में स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है. यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और हर साल लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां कुंज बिहारी के दर्शन करने आते हैं.
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बांके बिहारी, कृष्ण का ही एक रूप हैं, मंदिर में राधा कृष्ण की एकीकृत रूप की मूर्ति त्रिभंग मुद्रा में स्थापित है.  बांके बिहारी मंदिर में स्वर्ण रजत हिंडोले भी हैं जहां भगवान बिराजमान होते हैं, जिसका राज देश की आजादी से जुड़ा है.
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लेकिन क्या आपको पता है ठाकुर बांके बिहारी महाराज पहली बार हिंडोले में कब हुए विराजमान थे और कैसा था वह हिंडोला? आपको बता दें ठाकुर बांके बिहारी जब पहली बार स्वर्ण रजत हिंडोले में विराजमान हुए थे वह दिन बहुत ही खास था.
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ठाकुर बांके बिहारी महाराज जब पहली बार हिंडोले में विराजमान हुए थे, उस दिन केवल वृंदावन ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में खुशियां मनाई जा रही थी क्योंकि उस दिन भारत आजाद हुआ था. हम बात कर रहे हैं 15 अगस्त, 1947 की.
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जहां एक तरफ सारा भारत आजादी की खुशियों में डूबा हुआ था तो वही, ठाकुर बांके बिहारी महाराज पहली बार स्वर्ण रजत हिंडोला में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए थे. उस समय हिंडोला के निर्माण पर करीब 30 लाख रुपए की लागत आई थी.
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इस स्वर्ण रजत हिंडोली की खासियत यह है कि इसमें सोने चांदी का प्रयोग किया गया है. साथ ही इसमें शीशम सागवान जैसी लकड़ियों का प्रयोग किया गया . सबसे पहले नेपाल के टनकपुर में जगंल से शीशम की लकड़ी खरीद कर वृंदावन लाई गई थी.
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बिहारीजी बगीचा में बनारस के कारगीर लल्लन भाई और उनके साथियों द्वारा हिंडोला का आकार दिया और इस पर चांदी की पत्तर चढ़ाने के बाद सोना चढ़ाया गया था. इस स्वर्ण रजत हिंडोले में 2200 तोला सोना और 1 लाख तोला चांदी का प्रयोग किया गया है.
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सेठ हरगुलाल बेरीवाला ने ठाकुर बांके बिहारी मंदिर को यह हिंडोला भेंट किया था. जानकारी के अनुसार इस हिंडोला के कुल 125 भाग हैं. जिन्हें करीब 5 घंटे में 20-25 कारीगरों द्वारा जोड़कर हरियाली तीज पर ठाकुरजी को विराजमान कराने के लिए तैयार किया जाता है.
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इसकी लंबाई और ऊंचाई 30 फुट और चौड़ाई 7 फुट है. इसे अलग-अलग भाग का वजन 500 ग्राम से 250 किलो तक है. बताया कि हिंडोला को हरियाली तीज के अलावा होली और शरद पूर्णिमा पर अलग-अलग रुप प्रदान कर सजाया जाता है.
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