इस शर्त पर शिव ने बदला रूप, बने गोपेश्वर महादेव… कहां है ये अनोखा मंदिर?

मथुरा में एक ऐसा मंदिर है, जहां महादेव ने गोपी का वेश धारण किया था. सावन के महीने में भक्त श्री कृष्णा के दर्शन के साथ-साथ महादेव के इस स्वरूप के दर्शन के लिए भी दूर-दूर से आते हैं. जानते हैं महादेव ने गोपी का वेश क्यों धारण किया था और ये मंदिर कहां पर स्थित है.

सावन महीने की शुरुआत के साथ ही महादेव की विशेष पूजा अर्चना मंदिरों में की जा रही है. भगवान भोलेनाथ के जय कारे लगाए जा रहे हैं. तीर्थ नगरी मथुरे के वृंदावन में भी महादेव का एक बहुत ही खास मंदिर मौजूद है.
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वृंदावन के वंशीवट के पास भगवान भोलेनाथ का ऐसा मंदिर जिसको गोपेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. गोपेश्वर का अर्थ है गोपी का रूप अर्थात भगवान शिव यहां गोपी रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
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यह मंदिर लगभग 5500 साल पुराना है. पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर का नाम गोपेश्वर नाम होने के पीछे की एक खास वजह है. जब शरद पूर्णिमा की रात को भगवान कृष्ण और राधा गोपियों के साथ महारास कर रहे थे तो भगवान शिव की भी इच्छा हुई कि वो इस महारास में शामिल हों.
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ऐसे में भगवान शिव पृथ्वी पर आए और उन्होंने महारास में प्रवेश किया. मगर वहां मौजूद गोपियों ने उन्हें जानने से रोक दिया. भगवान शिव ने पूछा आप मुझे अंदर क्यों नहीं जाने दे रहे है? तब गोपियां बोलीं यहां सिर्फ गोपियों का प्रवेश होता है पुरुषों का नहीं.
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इतना सुनकर भगवान से थोड़े निराश हुए लेकिन, ललिता सखी ने उनकी मदद की. उनको कहा कि आप गोपी रूप धारण करके इस महारास में प्रवेश कर सकेंगे. फिर, भगवान भोलेनाथ ने गोपी रूप धारण किया और उस महारास में शामिल हुए. इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर है और आज इसी वजह से उनका नाम को गोपेश्वर महादेव पड़ा है. इसके बारे में गोपेश्वर मंदिर सेवायत मीनाक्षी गोस्वामी ने बताया.
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