सितंबर में जमानतों का ‘योग’, संयोग या प्रयोग?
कोई 23 महीने बाद तो कोई 34 महीने और कोई 39 दिन बाद जेल की सलाखों से बाहर आया है. एक के बाद एक सपा नेताओं की सितंबर में जमानत ने भी सूबे की सियासत में चर्चाओं की नई चाल छेड़ दी है. ऐसे में सवाल यही है कि, ये संयोग है या कोई प्रयोग. सवाल ये भी है कि, बाहर आए आजम, जुगेंद्र, सोलंकी, अब्बास-उमर और रामेश्वर. क्या पड़ेगा यूपी की सियासत में असर ?