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मणि पर्वत, जहां से शुरू होता है अयोध्या का सावन मेला… भगवान राम और माता सीता से है कनेक्शन
अयोध्या में स्थित मणि पर्वत, रत्नों से बना एक पहाड़ है, जो राम मंदिर से 3 किमी दूर है. इसके बारे में पुराने ग्रंथों में भी जिक्र किया गया है. यहां हर साल सावन झूला मेला लगता है जहां 500 से ज्यादा देवताओं की मूर्तियों को झूला-झुलाया जाता है. ये जगह भगवान राम और माता सीता से कैसे जुड़ी है इसके बारे में जानते हैं.
अयोध्या में एक ऐसा पर्वत है जो पत्थरों का नहीं बल्कि यह मणियों का पर्वत है. मौजूदा समय में ये अयोध्या धाम के राम मंदिर से महज 3 KM की दूरी पर मौजूद है. सालों पुराना इस मणि पर्वत का उल्लेख रुद्रयामल और सत्योपाख्यान में है.
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अयोध्या में स्थित इस मणिपर्वत पर हर साल 500 से ज्यादा भगवान की मूर्तियों को पालने में झूला झुलाया जाता है. एक मनमोहक मूर्ति ऐसी भी है जिसमें भगवान राम माता जानकी को झूला झूलाते हैं.
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इसकी धार्मिक मान्यता ये है कि भगवान राम जब माता सीता के साथ विवाह के पहली बार आए सावन के महीने में माता सीता मायके नहीं गईं थीं. उस समय भगवान राम मणिपर्वत को मायका मानकर माता जानकी को लेकर यहां पहुंचे थे.
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यहां पहुंचकर माता के सीता को झूला झुलाकर उनका मन खुश किया था. उस समय इस अद्भुत दृश्य को बहुत सारे देवी देवता देख रहे थे. अयोध्या धाम के सभी प्रमुख मठ मंदिरों की चल प्रतिमा को आज भी बड़े विधि विधान और वैदिक रीति-रिवाज से श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन एक भव्य शोभा यात्रा के माध्यम से लेकर हजारों की संख्या में साधु संत मणि पर्वत पर पहुंचते हैं.
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यहीं से अयोध्या धाम के एक महीने तक चलने वाले सावन झूला मेला की शुरुवात होती है मणि पर्वत और मौजूद भक्तों के द्वारा कजरी गीत गाते हैं और रघुनाथ और माता जानकी को गीतों के जरिए रिझाते हैं. इसके बाद दूसरी मंदिरों में झूले उत्सव की शुरुआत होती है.