पहली बारिश में ही ‘स्विमिंग’ पूल बनी दिल्ली–गाजियाबाद बॉर्डर की सड़कें

गाजियाबाद- दिल्ली के बॉर्डर पर पहली बारिश के बाद ही सड़कें तालाब बन गई. जलजमाव इतना ज्यादा है कि बच्चे उसमें खेलते दिखाई दे रहे हैं. इस रूट पर वाटरलागिंग की समस्या गाड़ियां के लिए खासा परेशानी का सबब बनती जा रही है. नगर निगमों की लापरवाही के चलते लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की है, लेकिन न तो दिल्ली और न ही गाजियाबाद की तरफ से इसका कोई हल निकल पाया है.

गाजियाबाद- दिल्ली के बॉर्डर पर जलजमाव

दिल्ली–गाजियाबाद बॉर्डर की सड़कें पहली बारिश में ही तालाब बन गई हैं. हालात ये हैं कि लोगों का इन रास्तों से आना जाना दूभर हो गया है. इसके साथ ही गाड़ियों को भी पानी से होकर गुजरना पड़ता है. जिसके चलते काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ये इलाका यूपी के गाजियाबाद नगर निगम और दिल्ली नगर निगम दोनों के बीच की पहेली बन कर रह गया है. इसका खामियाज़ा इस इलाके में रहने वाले लोगों को उठाना पड़ता है.

पहली बरसात में हैं ये हालात

मानसून की पहली बारिश ने गाजियाबाद नगर निगम की पोल खोल कर रख दी है. मानसून के आगाज के साथ ही यहां करीब एक फीट गहरा पानी जमा हो गया है. इसके चलते सीएनजी पंप के पास खड़े वाहन पानी में फंसे नजर आते है. फंसने की वजह से कई वाहनों को धक्का देकर निकालने की भी बाते सामने आई हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे ही तेज बरसात होती है, ये सड़क झीलनुमा रूप दिखाने लगती है.

लोकल लोगों के मुताबिक ऐसा नही है कि जलभराव की ये समस्या केवल इसी बार हो बल्कि हर साल यही कहानी दोहराई जाती है. इसके चलते इलाके में मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है; जिससे डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा लगातार बना हुआ है.

आखिर जिम्मेदारी किसकी?

इसे लेकर गाजियाबाद नगर निगम का कहना है कि ये इलाका दिल्ली का है. दिल्ली नगर निगम का इसे लेकर रूख साफ नही है. हांलाकि दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद विभाग एक-दूसरे पर उंगली उठाते दिखाई दे रहे हैं. दोनों राज्यों के सीमाई इलाकों की बाउंड्री क्लियर न होने के चलते इन इलाकों की सफाई का काम भी ठप है.

इसके अलावा गाज़ीपुर मंडी के पास शाम को बड़े पैमाने पर मीट की अवैध दुकानें लगती हैं. इनका वेस्टेज नालों में गिराया जाता है. इसके चलते ड्रेनेज सिस्टम में रुकावट पैदा होती है. यही वजह है कि बारिश का पानी क्रॉस नहीं हो पाता है.