बंद पुल से निकली विधायक की कार, एंबुलेंस को नहीं मिला रास्ता; स्ट्रेचर पर मां का शव लेकर निकले बेटे
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक हैरान और शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. यहां मरम्मत के लिए बंद पुल पर विधायक की गाड़ी को तो रास्ता दिया गया, लेकिन शव लेकर निकली एंबुलेंस को रोक दिया गया. मजबूरी में लोग स्ट्रेचर पर शव रखकर पुल को पार किए. इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक शर्मनाक घटना हुई है. यहां मरम्मत के लिए बंद पुल से विधायक की गाड़ी निकलने के लिए तो रास्ता दिया गया, थोड़ी ही देर बाद शव लेकर जा रही एंबुलेंस का रास्ता रोक दिया गया. कई बार आग्रह के बाद भी जब रास्ता नहीं खुला तो बेटों ने अपनी मां को स्ट्रेचर पर रखकर पुल को पार कराया. इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं. घटना शनिवार सुबह कानपुर-सागर हाईवे स्थित यमुना पुल का है.
जानकारी के मुताबिक यह पुल पर मरम्मत के लिए शनिवार को सुबह करीब छह बजे आवाजाही बंद कर दी गई थी. इसके लिए पुल के दोनों ओर बैरियर लगा दिया गया. करीब आधे घंटे बाद ही वहा बीजेपी के विधायक की कार पहुंची, उसे देखकर वहां काम कर रहे मजदूरों ने सारे बैरियर हटाकर गाड़ी को पुल पार जाने का रास्ता दे दिया. वहीं, करीब ढाई घंटे बाद शव लेकर एंबुलेंस आ गई. उस समय सभी मजदूर पुल के दूसरी ओर काम कर रहे थे. बावजूद इसके उसे रास्ता नहीं दिया गया.
काफी आग्रह के बाद भी नहीं खोला रास्ता
एंबुलेंस में अपनी मां का शव लेकर जा रहे बेटों ने ठेकेदार और मजदूरों से काफी आग्रह किया कि पांच मिनट के लिए रास्ता खोल दें. लेकिन मजदूरों ने साफ मना कर दिया. करीब आधे घंटे तक विनती करने के बाद आखिर में बेटों ने मां के शव को स्ट्रेचर पर रखा और पैदल ही पुल के पार ले गए. वहीं पुल पार करने के बाद शव को ऑटो में रखकर घर ले गए. यह घटना सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद विधायक ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि घटना के वक्त वह कार में थे ही नहीं, बल्कि वह तो अपने बीमार भाई को लेकर कानपुर में है.
अस्पताल में हुई थी महिला की मौत
सुमेरपुर के टेढ़ा गांव में रहने वाले बिंदा ने बताया कि उनकी मां शिव देवी (63) की तबियत खराब थी. कानपुर के अस्पताल में ही इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. उस समय वह दुखी थे और उन्हें ध्यान नहीं रहा शनिवार और रविवार को पुल बंद रहता है. इसलिए एंबुलेंस में शव लेकर वह पुल के पास पहुंच गए थे.यहां आने पर उन्हें गलती का एहसास हुआ, लेकिन दूसरा रास्ता काफी पीछे छूट गया था. इसलिए उन्होंने मजदूरों से काफी आग्रह किया. बावजूद इसके रास्ता नहीं मिला तो वह शव को पैदल लेकर पार हुए.



