विदेशों में चमक रहा आगरा में बना चमड़े का जूता! हर साल 4500 करोड़ रुपए का निर्यात

आगरा, ताजमहल के शहर के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन इसका सदियों पुराना जूता उद्योग भी विश्व स्तर पर जाना जाता है. मुगल काल से चली आ रही इस कला ने आगरा के जूतों को 'दुनिया का सबसे सरताज' बना दिया है. यहां से हर साल 4500 करोड़ रुपए का निर्यात होता है. भारत के कुल निर्यात में इसका योगदान करीब 2 से 3 प्रतिशत है.

विदेशों में चमक रहा आगरा में बना चमड़े का जूता! हर साल 4500 करोड़ रुपए का निर्यात
ताजमहल का शहर आगरा न केवल अपने ऐतिहासिक स्मारकों के लिए बल्कि अपने सदियों पुराने और विश्व प्रसिद्ध जूता उद्योग के लिए भी जाना जाता है. आगरा में बने जूते न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में भी अपनी खास पहचान रखते हैं.
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विदेशों में चमक रहा आगरा में बना चमड़े का जूता! हर साल 4500 करोड़ रुपए का निर्यात
आगरा में बने चमड़े के जूतों को ‘दुनिया का सबसे सरताज’ कहा जाता है. यहां के जूता उद्योग का इतिहास मुगल काल से जुड़ा हुआ है, जब राजघराने और दरबारियों को यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए जूते बेहद पसंद थे. समय के साथ यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित होती गई.
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आज आगरा चमड़े के जूतों का एक बड़ा केंद्र बन गया है. यहां के जूते अपनी बेहतरीन कारीगरी और आरामदायक बनावट के लिए जाने जाते हैं. भारत दुनिया में जूतों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. जूता निर्यात में आगरा की एक-चौथाई (25%) से भी ज्यादा हिस्सेदारी है.
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आगरा के प्रमुख जूता उद्यमी नजीर अहमद कहते हैं, ‘आगरा के कारीगरों के हाथों में जादू है. यहां हर जूता बड़ी बारीकी और मेहनत से बनाया जाता है. हम अपने जूतों का निर्यात न केवल भारतीय बाजार में बल्कि यूरोप, अमेरिका और मध्य पूर्व के देशों में भी करते हैं.’
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उनका कहना है कि विदेशी ग्राहक आगरा के जूतों की क्वालिटी और फिनिशिंग के कायल हैं. आगरा से प्रति वर्ष करीब 4500 करोड़ रुपये के जूते का निर्यात किया जाता है. और वैश्विक निर्यात में इसका योगदान करीब 2 से 3 प्रतिशत है.
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भारत के अपने चमड़े के जूते के बाजार में आगरा की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है. आगरा का जूता उद्योग हजारों परिवारों की आजीविका का मुख्य स्रोत है. छोटी फैक्ट्रियों से लेकर बड़ी निर्यात यूनिट तक, यह उद्योग शहर की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है.
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