445 प्राइमरी स्कूलों को बड़े स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी में योगी सरकार… शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध
लखनऊ में 445 ऐसे प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल, जिनमें 50 से कम छात्र हैं, उन्हें पास के स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है. प्रशासन का दावा है कि इससे बच्चों को बेहतर सुविधाएं और पढ़ाई का माहौल मिल सकेगा. हांलाकि इसे लेकर शिक्षक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. उनका कहना है कि सरकार का ये कदम सरकारी स्कूलों के लिए एक खतरा है.
लखनऊ में 445 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को लेकर योगी सरकार बड़ा कदम उठाने वाली है. इसके तहत इन स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा. ये फैसला उन स्कूलों के लिए लिया गया है जहाँ 50 या इससे कम बच्चे मौजूद हैं. जुलाई से इन स्कूलों को मर्ज करने की कवायत की जाएगी. बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार के निर्देश पर बीएसए राम प्रवेश ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है.
तैयार हो रही सूची
इसके तहत बीकेटी ब्लॉक के 64 स्कूलों की सूची बीएसए कार्यालय को भेज दी गई है, जबकि बाकी 7 ब्लॉकों की सूची अभी तैयार की जा रही है. बीएसए ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से ये भी जानकारी मांगी है ताकि नए स्कूलों में मर्ज करने के लिए जरूरी इतेजाम किए जा सकें. इसके लिए बच्चों की संख्या, कमरे, शिक्षक,और अनुदेशकों की जानकारी जुटाई जा सके. बीएसए का कहना है कि ये कदम बच्चों को बेहतर सुविधा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
, शिक्षक संगठनों ने किया विरोध
हालांकि, शिक्षक संगठनों ने इस फैसले का जोरदार विरोध किया है. प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने इसे शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन बताया और सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है. इसके साथ ही आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है. कुछ शिक्षक संगठनों ने इस फैसले को निजीकरण की ओर बढ़ता कदम बताया है. फिलहाल लखनऊ के 1618 स्कूलों में लगभग 1.75 लाख बच्चे पंजीकृत हैं. प्रशासन का कहना है कि स्कूलों के विलय से संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, लेकिन शिक्षकों को डर है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है.अब देखना होगा कि सरकार शिक्षक संगठनों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए क्या कुछ बदलाव करेगी.