सहारनपुर का वो गुमनाम महल, जहां बेगम के संग सुकून के पल बिताते थे शाहजहां

मुगल बादशाह शाहजहां ने वैसे तो ताजमहल जैसे कई विशाल महलों और किलो का निर्माण करवाया था लेकिन शाहजहां की एक ऐसी शिकारगाह भी है जिसके बारे में शायद ही आपने सुना हो. शिवालिक की पहाड़ियों के बेहद नजदीक ओर यमुना के तट पर बनी मुगल शासक शाहजहां की शिकारगाह जिसे बादशाही महल भी कहा जाता है, इस शिकारगाह में शाहजहां अपनी बेगम और परिवार के साथ गर्मी के मौसम समय बिताते थे और जंगलों में शिकार भी किया करते थे.

सहारनपुर का वो गुमनाम महल, जहां बेगम के संग सुकून के पल बिताते थे शाहजहां
इतिहासकारों के अनुसार सहारनपुर की बेहट तहसील से करीब 17 किलोमीटर दूर शिवालिक की पहाड़ियों के पास ओर यमुना नदी के तट पर शाहजहां के लिए इस शिकारगाह का निर्माण सन 1627-1658 के बीच हुआ था.
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शिकारगाह को शाहजहां के विशेष सेनापति मरदान अली खान ने बनवाया था. शाहजहां यहां गर्मी के मौसम में अपनी बेगम और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ यहां आकर शिकार खेलते और इस शिकारगाह के आस-पास के मोहक दृश्यों का आनंद लिया करते थे.
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इस बादशाही महल को भी शाहजहां ताजमहल की तरह ही विकसित करना चाहता था लेकिन, इलाके में गले की बीमारी की वजह से ये सब नहीं हो पाया. फिलहाल, शाहजहां का ये बादशाही महल और शिकारगाह खंडर में तब्दील हो चुकी है.
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इतिहासकार वीरेंद आजम बताते हैं कि उस दौर में सहारनपुर के बाबा लाल दास और हाजी शाह कमाल से मिलने के लिए शाहजहां अपने लाव लश्कर के साथ सहारनपुर के इस इलाके में आए थे. बाबा लाल दास और हाजी शाह कमाल से मिलने के बाद शाहजहां को यमुना तट ओर शिवालिक की पहाड़ियों से सटा ये जंगल बेहद पसंद आया.
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शाहजहां ने अपने सेनापति मरदान अली खान के सामने इस इलाके की खूबसूरती की तारीफ की. इसके बाद सेनापति मरदान अली खान ने यहां शाहजहां के लिए एक महल बनवाया. महल बनने के बाद शाहजहां अक्सर यहां आते और अपनी बेगम के साथ जंगलों में शिकार करते थे. बाद में इस महल के अंदर आराम किया करते थे.
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महल के अंदर एक कोना ऐसा भी था जिसपर बैठकर शाहजहां और उनकी बेगम यमुना नदी ओर शिवालिक की पहाड़ियों के मोहक दृश्यों को देखा करते थे. फिलहाल, शाहजहां का ये बादशाही महल पुरातत्व विभाग के अंडर में है और इसकी देखरेख भी की जा रही है. शाहजहां का ये बादशाही महल पर्यटन और इतिहास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है.
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