यूपी के इस मंदिर में एक साथ माथा टेकते हैं हिंदू और मुस्लिम, जानें क्या है इतिहास; PHOTOS
सोनभद्र के जिरही माता मंदिर की देखरेख खारवार बिरादरी के पुजारी करते हैं. उनकी पीढ़ी सैंकड़ों साल से इस दायित्व को निभा रही है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय साथ में मत्था टेकने आते थे.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में स्थित जिरही माता मंदिर दोनों हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए आस्था का केंद्र है. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां दोनों ही समुदाय के लोग माता के दरबार में मत्था टेकते हैं और मनोकामनाएं मांगते हैं.
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इतिहासकारों के मुताबिक यह मंदिर तकरीबन 700 साल पुराना है. इस मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है. जब यह क्षेत्र खारवार राजवंश के अधीन था तब यहां 2 मुस्लिम बारातियों ने अपने प्राण त्याग दिए थे. इससे जिरही माता भी दुखी होकर अपने प्राण त्याग दिए.
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दरअसल, उस वक्त एक बारात इस इलाके से गुजर रही थी. उस वक्त बाराती यहां पानी पीने रुके. बाराती जिस नदी का पानी पी रहे थे उसे स्थानीय लोगों ने सिअरी नदी बताया. बारात में मौजूद दो मुस्लिम बारातियों को ये नाम अपने धर्म के विपरीत लगा और उन्होंने वहीं पर अपना प्राण त्याग दिए .
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दो मुस्लिम बारातियों के ऐसा करने से बारात में शामिल जिरही देवी को बेहद दुख हुआ और उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए. जिरही देवी के ऐसा करते ही पूरी बारात पत्थर में तब्दील हो गई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने यहां जिरही माता का मंदिर स्थापित किया.
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श्रद्धालुओं के मुताबिक ये स्थल बेहद चमत्कारिक है. अगर आप सच्चे मन से यहां कोई भी मनोकामना मांगते हैं तो माता आपकी हर इच्छा को पूरी करती है, चाहे आप किसी भी समुदाय के हों. इसलिए आज भी इस मंदिर को लेकर हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों में खास मान्यता है.
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जिरही माता मंदिर इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि आस्था की कोई सीमा नहीं होती. सच्ची श्रद्धा दिलों को जोड़ती है, तोड़ती नहीं. इस मंदिर में आज भी हिन्दू और मुसलमान एक साथ सिर झुकाते हैं.(रिपोर्ट: मोहित मिश्रा)