क्या भूतों ने बनाया वृंदावन का गोविंददेव मंदिर? हैरान कर देगी कहानी; Photos

वैसे तो वृंदावन दुनियाभर में अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां एक मंदिर ऐसा भी है, जिसे भूतों का मंदिर कहा जाता है. ये मंदिर इतना फेमस है कि लोग दूर- दूर से यहां दर्शन करने के लिए आते है. आखिर यहां ऐसा क्या है खास. आपको पूरी कहानी बताते हैं.

तीर्थ नगरी वृंदावन जहां हजारों मंदिर मौजूद हैं. इनमें से कुछ मंदिरों का निर्माण तो कई दशकों पहले हुआ था. इनमें भगवान के मूल विग्रह विराजमान रहते हैं.
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इनका निर्माण अलग- अलग समयों में अलग- अलग राजाओं के द्वारा कराया गया. इसके साथ ही यहां एक ऐसा मंदिर भी है, जिसका खास तौर पे कनेक्शन भूतों से जुड़ता है. इसीलिए इसको लोग भूतों के मंदिर के नाम से जानते हैं.
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हांलाकि इसे गोविंद देव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर काफी प्राचीन है साथ ही इसके बारे में कहा जाता है कि औरंगजेब ने भी इस पर आक्रमण किया और तोड़ने की कोशिश की थी.
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आपको बता दें कि वृंदावन में मौजूद इस मंदिर का निर्माण 1590 में हुआ था. इसे बनवाने के लिए आमेर के राजा मानसिंह का रोल काफी अहम था. इस मंदिर में जयपुर के कलाकारों ने हाथों के जरिेए नक्काशी की है, जिसकी छाप आज भी देखी जा सकती है. जब इस मंदिर का निर्माण हुआ तो यह मंदिर 7 मंजिला हुआ करता था.
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जब औरंगजेब को इस बारे में ज्ञात हुआ तो उसने 1669 में इस मंदिर पर आक्रमण कर दिया और मंदिर की 4 मंजिला इमारत को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद ये मंदिर पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया. इसीलिए राजा मानसिंह मूल विग्रह को अपने साथ जयपुर लेकर चले गए.
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करीब 180 सालों तक ये मंदिर खंडहरनुमा पड़ा रहा, जिसकी वजह से लोगों ने ये अफवाह फैला दी कि यह भूतों का मंदिर है.फिर सन 1850 में इसे खुलवाया गया और यहां भगवान की मूर्ति स्थापित की गई.
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तब से लेकर आज तक यह मंदिर 7 मंजिला इमारत की जगह 3 मंजिला ही बना हुआ है. लाल पत्थरों से बना होने के कारण ये काफी सुंदर दिखाई देता है.
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वर्तमान में इस मंदिर की जिम्मेदारी गोस्वामी पर है और इस मंदिर के सेवायत संजय गोस्वामी हैं.
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