कैसे होती है ठाकुर जी की पूजा सेवा… राम मंदिर में होगी ट्रेनिंग, देश भर से आए 500 आवेदन
राम मंदिर में पूजा सेवा के लिए अर्चकों के प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए 500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम रामानंदी संप्रदाय के गुरुकुल छात्रों के लिए है, जिसमें भगवान की आरती, भोग, स्नान आदि के तौर तरीके सिखाए जाएंगे. चयनित अर्चकों को आवासीय प्रशिक्षण, भोजन, आवास और छात्रवृत्ति की सुविधा मिलेगी. यह प्रशिक्षण राम मंदिर में प्रत्यक्ष नियुक्ति की गारंटी नहीं देता है, पर भविष्य में नियुक्ति के अवसर बढ़ाता है.

प्रभु श्रीराम की सेवा पूजा का एक विधान है. अर्चकों को इस विधान की ट्रेनिंग के लिए राम मंदिर में विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा गठित धार्मिक समिति ने देश भर के अर्चकों से ऑनलाइन आवेदन मांगे थे. 30 जून तक इस ट्रेनिंग के लिए 500 से अधिक अर्चकों ने आवेदन जमा किए हैं. अब समिति के पदाधिकारी सभी आवेदकों की जांच कर रहे हैं. इस दौरान चयनित अर्चकों को राम मंदिर बुलाकर उन्हें विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी.
उन्हें सिखाया जाएगा कि भगवान की आरती कैसे करनी है, भोग कैसे लगाना है? इसके अलावा उन्हें भगवान के स्नान, अभिषेक और शयन कराने के तौर तरीके भी सिखाए जाएंगे. बता दें कि इस प्रशिक्षण का यह मतलब नहीं है कि जिन्हें प्रशिक्षण मिलेगा, उन्हें राम मंदिर में नियुक्ति भी मिलेगी. इस संबंध में आवेदन मांगते समय ही श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साफ कर दिया था. कहा था कि यह प्रशिक्षण किसी प्रकार का अर्चक-नियुक्ति का अनुबन्ध नहीं है.
मानकों पर खरे उतरे तो मिलेगी नियुक्ति
इसमें कहा गया था कि ट्रस्ट की ओर से समय-समय पर अर्चकों के प्रशिक्षण के लिए आवेदन जारी किया जाता है. वहीं प्रशिक्षण पूरा होने के बाद समिति द्वारा तय मानकों पर खरे उतरने वाले अर्चकों को राम मंदिर में नियुक्ति भी की जाती है. धार्मिक समिति के सदस्य गोपाल राय के मुताबिक अब तक 500 से अधिक आवेदन मिले हैं. इन सभी आवेदनों की जांच कराई जा रही है. त्रुटि रहित आवेदनों को शार्टलिस्ट कर जल्द ही अर्चकों को यहां बुलाकर ट्रेनिंग शुरू कर दी जाएगी.
26 से 30 जून तक दाखिल करने थे आवेदन
उन्होंने बताया कि इसके लिए 26 से 30 जून तक देश भर से 20 से 30 वर्ष आयु वर्ग के अर्चकों से आवेदन मांगे गए थे. इसके लिए कुछ मानदंड भी तय किए गए थे. अयोध्या परिक्षेत्र के अर्चकों को वरीयता देते हुए कहा गया था कि न्यूनतम पांच साल की पारंपरिक गुरुकुल शिक्षा दी जाएगी. इसके अलावा सभी अर्चकों को घंटावारिक आवासीय प्रशिक्षण, निशुल्क भोजन-आवास व्यवस्, अर्चक-प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र और प्रशिक्षण-काल में मासिक छात्रवृत्ति की सुविधा मिलेगी.
गुरुकुल छात्रों से मांगा था आवेदन
राम मंदिर की धार्मिक समिति ने पिछले महीने इस प्रशिक्षण के लिए विज्ञप्ति जारी की थी. इसमें देश भर मौजूद रामानंदी संप्रदाय के गुरुकुल छात्रों से आवेदन मांगे गए थे. आवेदन 26 जून से ऑनलाइन माध्यम से दाखिल करना था. इसके लिए अंतिम तिथि 30 जून निर्धारित की गई थी. ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर परिसर में विराजमान सभी देवालयों में दैनिक अर्चाविधि को सुचारु रूप से संपन्न करने के लिए तथा अन्यत्र कहीं भी योग्य अर्चक उपलब्ध न होने की बात को ध्यान में रखते हुए यह अर्चक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.



