प्रशासन का दबाव या संगठन में बिखराव, नाटकीय अंदाज में खत्म हुआ डीएलएड छात्रों का धरना; उठे सवाल

प्रयागराज में डीएलएड प्रशिक्षुओं का दो हफ़्ते तक चला धरना नाटकीय ढंग से खत्म हो गया है. कहा जा रहा है कि शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर शुरू हुआ यह आंदोलन प्रशासनिक दबाव और एकजुटता की कमी की वजह से समाप्त हुआ. हालांकि, छात्रों की मांग शासन के सामने रखे जाने का आश्वासन मिला है.

प्रयागराज में डीएलएड छात्रों का धरना खत्म

प्रयागराज में यूपी शिक्षा चयन आयोग के सामने दो हफ्ते से चल रहा डीएलएड प्रशिक्षित अभ्यर्थियों का धरना नाटकीय अंदाज में समाप्त हो गया है. दावा किया जा रहा है कि नई शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर शुरू हुआ यह धरना अधिकारियों के आश्वासन पर खत्म हुआ है. धरने का नेतृत्व कर रहे रजत सिंह ने खुद प्रशासन को सामने धरना समाप्त करने की बात कही है. इसी के साथ धरने पर बैठे छात्र आयोग के सामने से हट गए हैं. जबकि इसके पीछे कई कहानियां निकल कर सामने आ रही है.

कहा तो यह जा रहा है कि धरने पर बैठे छात्र खुद ही संगठित नहीं हो पाए. ऊपर से प्रशासन का दबाव काफी बढ़ गया था. इसकी वजह से छात्रों का अपना धरना खत्म करना पड़ा है. यह धरना प्राथमिक शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर 28 मई को शुरू किया था. उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के सामने शुरू में काफी संख्या में डीएलएड प्रशिक्षित अभ्यर्थी आ गए थे, लेकिन धीरे धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई. बीते एक सप्ताह से सुबह के समय तो यहां छात्रों की भीड़ जुटती थी, लेकिन शाम तक यह संख्या ईकाई में ही रह जाती थी.

संघ ने दिया ये तर्क

14 दिन बाद बिना नतीजे के धरना समाप्त करने को लेकर डीएलएड संघ के प्रदेश अध्यक्ष रजत सिंह ने बयान दिया है. कहा कि डीएलएड अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधि मंडल आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पाण्डेय से मिला था. इसमें आयोग की ओर से लिखित मांगपत्र देने को कहा गया. इसके बाद मंगलवार की शाम को यहां पहुंचे एडीएम सिटी सत्यम मिश्र व डीसीपी अभिषेक भारती को उन्होंने मांगपत्र सौंप दिया है. इस मांगपत्र पर सकारात्मक प्रयास करने का आश्वासन मिला है. इसमें कहा गया है कि उनकी मांगों को शासन एवं बेसिक शिक्षा विभाग के सामने रखी जाएंगी.

छात्रों में हो रही है चर्चा

धरना जारी रहने तक भले ही छात्र अपनी आवाज को बुलंद नहीं कर पाए, लेकिन अब धरना खत्म होने के बाद इसकी वजह को लेकर चर्चा जोर शोर से होने लगी है. कहा जा रहा है कि किसी भी आंदोलन को लंबे समय तक चलाने के लिए लोगों में एकजुटता जरूरी होती है. इसके साथ ही जरूरी होता है कि आंदोलन का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति की हनक हो. यह धरना इन दोनों ही मोर्चों पर टिक नहीं पाया. ऐसे हालात में महज आश्वासन पाकर ही धरना खत्म करना पड़ा है.