पूजा, राकेश, आशुतोष, महाराजी और विनोद… अखिलेश ने इन 5 बागी विधायकों पर क्यों नहीं की कार्रवाई? इनसाइड स्टोरी
समाजवादी पार्टी के आठ विधायकों की बगावत के बाद अखिलेश यादव ने तीन विधायकों को पार्टी से निकाल दिया. वहीं पांच अन्य को बख्श दिया है. इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक हलके में चर्चा तेज हो गई है. इन पांच बचे हुए विधायकों का ओबीसी समुदाय से संबंध और अखिलेश यादव से संपर्क में रहना ही उनके पार्टी में बने रहने का बड़ा कारण बताया जा रहा है.

समाजवादी पार्टी में बगावत के सुर काफी समय से उठ रहे थे. एक या दो नहीं बल्कि आठ-आठ विधायकों के तेवर बागी थे. इनमें गोसाईंगज विधायक अभय सिंह, गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय के अलावा राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्या, पूजा पाल, और महाराजी प्रजापति आदि विधायक भी शामिल हैं. हालांकि सोमवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी ने अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज पांडेय पर ही एक्शन लिया.वहीं बाकी विधायकों को एक और मौका दिया है. इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक हलके में चर्चा तेज हो गई है. पूछा जा रहा है कि पांच विधायकों पर मेहरबानी की वजह क्या है.
इस प्रसंग में इस सवाल का जवाब ढ़ूंढने की कोशिश करेंगे. दरअसल, समाजवादी पार्टी में बगावत का मामला फरवरी 2024 में सामने आया था. उस समय राज्यसभा चुनावों में सपा के आठ विधायकों ने क्रास वोटिंग की थी. इस मामले में पार्टी ने 16 महीने बाद एक्शन तो लिया, लेकिन इस कार्रवाई से पांच बागी विधायक राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्या, पूजा पाल, और महाराजी प्रजापति साफ साफ बच गए. जबकि अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय के साथ ही इन पांच विधायकों ने भी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर एनडीए समर्थित बीजेपी के उम्मीदवारों के पक्ष में वोट किया या फिर वोटिंग से दूरी बना ली थी.
बीजेपी नेताओं के साथ वायरल हुई थी तस्वीरें
यही नहीं, इन विधायकों की बीजेपी उम्मीदवार संजय सेठ और अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरें भी सोशल मीडिया में वायरल हुई थीं. यह तस्वीरें उत्तर प्रदेश विधानसभा परिसर में खिंचाई गई थीं. अब सपा के नेताओं का कहना है कि मनोज पांडेय, अभय सिंह, और राकेश प्रताप सिंह पार्टी लाइन के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे थे. इसलिए इन्हें निष्कासित किया गया है. इन तीनों ही विधाकों ने एसपी के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के खिलाफ नरेटिव बनाने की भी कोशिश की. जहां तक क्रास वोटिंग का सवाल है, आंतरिक जांच में पता चला है कि इन विधायकों ने ना केवल खुद क्रॉस-वोटिंग की, बल्कि अन्य विधायकों को भी ऐसा करने के लिए उकसाया.
पांच विधायकों पर नरमी से उठे सवाल
बता दें कि पूर्व में ये तीनों विधायक सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के करीबी रहे हैं. मनोज पांडेय जहां विधानसभा में चीफ व्हिप जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे, वहीं अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह की भी गिनती नेतृत्व के विश्वासपात्रों में होती थी. लेकिन इन तीनों की बगावत से पार्टी को नुकसान हुआ है. इसकी वजह ठाकुर समुदाय का योगी आदित्यनाथ की ओर झुकाव या सरकारी दबाव हो सकती है. फिर सवाल उठता है कि बाकी पांच विधायकों पर नरमी क्यों?
सामने आई ये वजह
बदायूं की बिसौली सीट से विधायक आशुतोष मौर्या, कौशांबी की चायल विधानसभा से विधायक पूजा पाल, अमेठी सदर सीट से विधायक महाराजी प्रजापति ओबीसी समुदाय से हैं और इनका एसपी के पीडीए वोट बैंक से संबंध है. माना जा रहा है कि इसी वजह से ये पार्टी की ओर से हुई कार्रवाई में बच गए. ये तीनों विधायक अखिलेश यादव के संपर्क में हैं. इन्होंने कहा है कि किसी मजबूरी में पार्टी के खिलाफ वोटिंग की थी. इसी प्रकार अंबेडकर नगर की जलालपुर सीट विधायक राकेश पांडे और जालौन के कालपी विधान सभा क्षेत्र से विधायक विनोद चतुर्वेदी भी पार्टी सुप्रीमों के संपर्क में हैं. अभी तक इन्होंने खुलकर बीजेपी का सपोर्ट नहीं किया है. इस लिए इन्हें एक और मौका दिया गया है.
सपा ने दिया ये तर्क
सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह के मुताबिक कई बागी विधायकों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलकर अपनी मजबूरी बताई है. कहा है कि उन्हें दबाव में क्रॉस-वोटिंग करनी पड़ी थी. वहीं, जिन तीन विधायकों को निकाला गया, वे मुखर होकर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे थे. कहा कि जिन्होंने षड्यंत्र किया, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है. सपा के बयान में कहा गया कि इन तीन विधायकों को पार्टी में अनुशासन के खिलाफ आचरण और पीडीए समुदाय के लिए हानिकारक नीतियों का समर्थन करने के कारण निष्कासित किया गया है. वहीं बाकियों को सुधरने के लिए एक मौका दिया गया है.
पल्लवी पटेल पर चुप्पी की रणनीति
राज्यसभा चुनाव में बगावत के बावजूद भी सपा ने अपनी विधायक और अपना दल (के) नेता पल्लवी पटेल के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की है. पल्लवी ने क्रॉस-वोटिंग नहीं की थी, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में एसपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद, उनकी पार्टी ने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के साथ पीडीएम (पिछड़ा, दलित, मुस्लिम) गठबंधन बनाया, जो कोई सीट नहीं जीत सका.
पल्लवी कुर्मी समुदाय से हैं, जो उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा ओबीसी समूह है. उनकी बहन अनुप्रिया पटेल का अपना दल (एस) पहले से एनडीए का हिस्सा है. इसलिए, 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए सपा पल्लवी को खोने से बचना चाहती है.
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