चन्द्रवंशियों के कुल देवता है बाबा विश्वनाथ! सावन के पहले सोमवार करते हैं भव्य अभिषेक; रोचक है कहानी
वाराणसी के चंद्रवंशी यादव 93 वर्षों से सावन के पहले सोमवार को भोलेनाथ का अभिषेक करते आ रहे हैं. यह परंपरा 1932 के अकाल के बाद शुरू हुई थी, जब भक्तों ने भारी वर्षा के लिए प्रार्थना की थी. अब हजारों लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं, जो कई शिव मंदिरों में अभिषेक करते हैं. यह आस्था और परंपरा का अनूठा संगम है, जहां लोग अपनी मनौतियां भी पूरी करते हैं.

उत्तर प्रदेश में भगवान विष्वनाथ की नगरी काशी एक ऐसा शहर है जिसका अस्तित्व इतिहास से भी पुराना है. यहां आस्था और विश्वास से परंपराएं जन्म लेती हैं और उसी में विलीन हो जाती है. काशी की ऐसी ही एक परंपरा हर साल सावन के पहले सोमवार को देखने को मिलती है. इस परंपरा के तहत यहां के चंद्रवंशीय यादव बंधुओं द्वारा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है. हजारों की तादात में यादव बंधु भोलेनाथ के जयकारे लगाते हुए निकलते हैं और छह घंटे में 35 किमी तक सफर करते हुए अलग अलग स्थानों पर भूत भावन भगवान शंकर का अभिषेक करते हैं.
कहा जाता है कि यह परंपरा 93 साल पहले यानी साल 1932 में उत्तर प्रदेश में अकाल पड़ा था. नौबत यहां तक आ गई थी कि बारिश के अभाव में जीव जंतु अकुलाने लगे थे. खेतों में दरारें पड़ गईं थीं. चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के अध्यक्ष लालजी यादव बताते हैं कि पशु पक्षियों की प्यास से मरने की घटनाएं सामने आ रही थीं. उस समय संकठा जी की गली के रहने वाले भोला सरदार और ब्रह्मनाल में रहने वाले चुन्नी सरदार ने भगवान भोलेनाथ से बारिश की. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने काशी के सभी प्रमुख शिवालयों में जलाभिषेक किया था.

उनकी भक्ति से भगवान प्रसन्न हुए और उस दिन शाम ढलने से पहले आसमान में काली घटाएं छाने लगीं और फिर घनघोर बारिश हुई थी. उसी समय उन दोनों यादव बंधुओं ने संकल्प ले लिया कि वो जीवन भर सावन के पहले सोमवार को काशी के सभी प्रमुख शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे. उनके इस संकल्प और भक्ति को देखकर लोग उनके साथ जुड़ते गए और इस बात को 93 साल हो चुके हैं. अब जब सावन के पहले सोमवार को लोग भोलेनाथ के अभिषेक के लिए निकलते हैं 50 हजार से अधिक लोगों का कारवां बन जाता है.
पूरी होती है मनौतियां
लालजी यादव के मुताबिक गोप समाज के लोग तो विश्व कल्याण के उद्देश्य से इस परंपरा का निर्वहन करते हैं, लेकिन इसमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी शामिल होते हैं, जो भगवान भोलेनाथ से कोई मनौती रखते हैं. उनकी मनौतियां पूरी भी होती हैं. उन्होंने बताया कि वाराणसी के एक पुलिस अधिकारी ने संतान प्राप्ति के लिए यादव बंधुओं के साथ जलाभिषेक किया था. ठीक नौ महीने बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी. ऐसे ही बहुत सी ऐसी कहानियां हैं, जिनमें लोगों की मनौतियां भोलेनाथ ने पूरी की हैं.
केदार घाट पर जुटते भोले के भक्त
लालजी यादव के मुताबिक सावन के पहले सोमवार पर यादव बंधुओं की भीड़ सबसे पहले केदार घाट पर जुटती है. यहां सभी लोग स्नान करते हैं और जलभर कर गौरी केदारेश्वर का जलाभिषेक करते हैं. इसके बाद केदार घाट से ही फिर से जल भरकर तिल भंडेश्वर महादेव और यहां से माता शीतला जी यानी कि शीतला घाट से जल भरकर माता जी को चढ़ाते हैं. यहां से जल भरकर मान मंदिर घाट स्थित अलेश्वर महादेव और फिर डेढ़सी का पुल और ढूंढीराज गणेश होते हुए बाबा विश्वनाथ के दरबार में पहुंचते हैं. हर हर महादेव के उद्घोष के साथ गेट नंबर चार से होते हुए यादव बंधु मणिकर्निका घाट पहुंचते हैं और वहां से जल भर कर महामृत्युंजय महादेव और गाय घाट स्थित तिरलोचन महादेव पर जलाभिषेक करते हैं. यहां से कोयला बाज़ार स्थित ॐकारेश्वर महादेव के जलाभिषेक के साथ उनकी यात्रा पूरी होती है.
पिछले साल 400 लोगों को मिली अनुमति

इस यात्रा में 50 हजार से अधिक लोगों की भीड़ जुटती है, हालांकि व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पिछले साल प्रशासन ने केवल 400 लोगों को ही निकलने की अनुमति दी थी. इस बार भी उम्मीद है कि इतने ही लोगों को यात्रा में निकलने की अनुमति मिलेगी. लालजी यादव ने बताया कि इस बार तो यादव बंधुओं की ओर से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को भी इस यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने इसके लिए सहमति भी दी है.
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