मुरादाबाद: 25 पैसे से 10 रुपये तक का सफर, 20 साल बाद भी ‘जय समोसा’ का वैसा ही स्वाद

उत्तर प्रदेश की पीतल नगरी मुरादाबाद अपनी नक्काशी के साथ-साथ अपने खास जायके के लिए भी मशहूर है. शहर के डिप्टी गंज इलाके में करीब दो दशक पहले शुरू हुआ 'जैन समोसा', आज 'जय समोसा' बनकर भी ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है.

मुरादाबाद: 25 पैसे से 10 रुपये तक का सफर, 20 साल बाद भी ‘जय समोसा’ का वैसा ही स्वाद
मुरादाबाद का प्रसिद्ध ‘जय समोसा’ 25 पैसे से 10 रुपये तक का सफर तय कर चुका है. करीब दो दशक पहले शुरू हुआ ‘जैन समोसा’, आज ‘जय समोसा’ बनकर भी ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है.
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मुरादाबाद: 25 पैसे से 10 रुपये तक का सफर, 20 साल बाद भी ‘जय समोसा’ का वैसा ही स्वाद
हालांकि, नाम बदलने की कहानी के पीछे कोरोना काल का एक दर्दनाक विवाद और त्रासदी छिपी है. कोविड के दौरान वेतन न मिलने से कर्मचारियों ने बगावत कर बराबर में नई दुकान खोली थी.
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इसके बाद पुराने मालिक की संदिग्ध आत्महत्या ने शहर को हिला कर रख दिया था. तमाम तरह-तरह की चर्चाओं और मालिक बदलने के बावजूद, अगर कुछ नहीं बदला तो वह है, समोसे का स्वाद.
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दशकों से यह अपनी शुद्धता और गुणवत्ता के कारण ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है, जो पीढ़ियों से मुरादाबाद की पहचान है. 25 पैसे से 10 रुपये का सफर तय करने के भी यह बरकरार है.
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मुरादाबाद: 25 पैसे से 10 रुपये तक का सफर, 20 साल बाद भी ‘जय समोसा’ का वैसा ही स्वाद
20-25 साल पहले खुले इस दुकान पर आज भी सुबह से शाम तक लंबी कतारें लगी रहती हैं. यह कहानी सिर्फ एक दुकान की नहीं, बल्कि पीढ़ियों के बदलाव की गवाह है.
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इसके वर्तमान संचालक बताते हैं कि यह सफर करीब दो दशक पहले शुरू हुआ था. समोसा बेचते-बेचते एक पूरी पीढ़ी बदल गई. आज दुकान की कमान नई पीढ़ी के हाथों में है, लेकिन उसूल वही पुराने हैं.
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संचालक का मानना है कि उनकी सफलता का एकमात्र राज गुणवत्ता है. तेल और मसालों की शुद्धता से कोई समझौता नहीं किया जाता. यही वजह है कि यह अपनी अलग और मजबूत पहचान है.
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