यूपी में अनोखा काली मंदिर, खेचरी मुद्रा में विराजमान हैं माता; चढ़ाया प्रसाद हो जाता है गायब
उत्तर प्रदेश में स्थित एक काली मंदिर अपनी अद्वितीयता के लिए विख्यात है. यहां मां काली खेचरी मुद्रा में विराजमान हैं. यह मंदिर तांत्रिक साधना का भी महत्वपूर्ण केंद्र है. मंदिर में चढ़ाए गए प्रसाद का रहस्य आज भी अनसुलझा है.
काली खोह मंदिर, मिर्जापुर में स्थित है. पौराणिक कथा के अनुसार, रक्तबीज वध के समय खून धरती पर न गिरे, मां ने अपना मुख खुला रखा और उसे पिया लिया, तब से इसी स्वरूप में हैं.
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मंदिर में चढ़ाए गए प्रसाद का रहस्य आज भी अनसुलझा है. कहा जाता है कि मां के मुंह में चाहे जितना प्रसाद चढ़ा दिया जाए, वो कहां चला जाता है आज तक किसी को पता नहीं है.
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विंध्य पर्वत पर स्थित काली खोह मंदिर विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां आकाश की ओर मां का मुख खुला है. इसे खेचरी मुद्रा कहा जाता है. यह तांत्रिक साधना का महत्वपूर्ण केंद्र है.
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यह मंदिर विंध्याचल त्रिकूट यात्रा का अभिन्न अंग है, जहां लाखों भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं. मंदिर में नवरात्रि के सप्तमी तिथि के दिन तो पैर रखने तक की जगह नहीं होती है.
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त्रिकूट यात्रा के दौरान, मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन पूजन करने के बाद मां काली, इसके बाद मां अष्टभुजा का श्रद्धालु दर्शन पूजन करते हैं. मां सभी की मनोकामना पूर्ति करती हैं.
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मां विंध्यवासिनी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. दर्शन के लिए वाहन से पहुंच सकते हैं. अष्टभुजा पहाड़ पर चढ़ने के बाद आप रोपवे या सीढ़ी का भी सहारा ले सकते हैं.