मेट्रो, एरो सिटी और क्या खास…जानते हैं 2030 तक कैसा दिखेगा कानपुर
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर का कायाकल्प करने के लिए एक व्यापक विकास योजना 2030 तक पूरी होने वाली है. इस योजना में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार, चकेरी एयरपोर्ट के पास एक आधुनिक एयरो सिटी का निर्माण और कानपुर बार एसोसिएशन के लिए एक बहुमंजिला भवन बनाया जाना है. 'मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट' के रूप में कानपुर की पुरानी तस्वीर को नया करने की तैयारी है.
कानपुर को एक समय ‘मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट’ कहा जाता था. बदलते वक्त के साथ वह दर्जा गुमनाम होता चला गया लेकिन, अब एक बार फिर आधुनिक मैनचेस्टर की कवायद शुरू हो गई है. गुरुवार को सीएम योगी के सामने कानपुर के विकास की योजना रखी गई जिसके तहत साल 2030 तक इस 55 लाख की आबादी वाले शहर की सूरत बदलती दिखाई पड़ेगी. आइए आपको बताते है कि इस योजना में कौन से महत्वपूर्ण पड़ाव हैं.
मेट्रो दिलाएगा जाम से छुटकारा
कानपुर की सबसे बड़ी समस्या में से एक है यहां का ट्रैफिक. इससे मुक्ति पाने के लिए मेट्रो का निर्माण किया जा रहा है. आईआईटी से रेलवे स्टेशन तक मेट्रो शुरू भी हो चुकी और इसके अलावा अन्य स्टेशन का निर्माण तेजी से चल रहा है. अब विकास योजना के तहत इस मेट्रो रूट के विस्तार की योजना बन रही है.
आइआइटी स्टेशन के आगे मंधना स्टेशन तक ट्रैक बढ़ाने की योजना है. इसके अलावा सीएसए स्टेशन के रूट को ख्यौरा कटरी तक बढ़ाने की योजना है. बर्रा आठ से नौबस्ता मेट्रो स्टेशन को जाने वाले रूट को चकेरी एयरपोर्ट तक ले जाने की तैयारी है. कैंट स्थित केंद्रीय विद्यालय से रूट उन्नाव तक जाएगा और इस ट्रैक का दूसरा हिस्सा पनकी केंद्रीय विद्यालय की तरफ जाएगा.
दिल्ली की तर्ज पर एरो सिटी
कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट के पास दिल्ली की तर्ज पर एरो सिटी बनाने की योजना है. इस आधुनिक इरो सिटी का निर्माण 300 एकड़ जमीन पर होगा. नए चकेरी एयरपोर्ट के पास कानपुर विकास प्राधिकरण इसका निर्माण करेगा. यहां पर आवासीयबौर व्यावसायिक दोनों तरह की परियोजनाएं होंगी. इसके आने से आय के साधन बढ़ेंगे और साथ ही एयरपोर्ट से आने जाने वालों को सुविधाएं भी मिलेंगी. इसका निर्माण पीपीपी मॉडल के तहत तकरीबन 360 करोड़ रुपए से किया जाएगा.
सबसे बड़ी समस्या वकीलों के चैंबर
कानपुर बार एसोसिएशन को एशिया की सबसे बड़ी बार कहा जाता है. यहां पर तकरीबन 16000 अधिवक्ता पंजीकृत हैं. अगर प्रैक्टिस करने वालों का आंकड़ा भी मान लें तो उनकी संख्या 5000 से ज्यादा है जबकि यहां पर चैंबर मात्र 500 है. इस वजह से कब्जे की समस्या भी सामने आती है. विकास परियोजना में इसके लिए भी सुझाव दिया गया है. कोर्ट में मौजूद गवाह घर की अब कोई उपयोगिता नहीं है. इसकी जमीन पर बहुमंजिला अधिवक्ता भवन का निर्माण हो सकता है, जिसमें हजारों वकीलों को चैंबर दिया जा सकता है.