राजा भैया से लेकर बृजभूषण शरण तक, गाड़ियों के नंबर से जानिए किस बाहुबली का है काफिला; Photos
सड़कों पर अक्सर आपने बाहुबलियों के काफिले देखे होंगे. इनकी गाड़ियों के नंबर प्लेट पर लिखे ये विशेष नंबर 0001, 0108, 0009, 8088, 0786 आदि पर भी आपका ध्यान जरूर गया होगा. क्या आपको मालूम है कि इन नंबरों को देखकर भी इन बाहुबलियों की पहचान हो सकती है? यदि नहीं जानते तो यहां देख लें तस्वीरें.
जौनपुर में मछली शहर के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह को 9777 नंबर से खास प्रेम है. उन्हें लग्जरी गाड़ियों का भी खूब शौक है. उनके काफिले में ज्यादातर गाड़ियां इसी नंबर की लग्जरी गाड़ियां शामिल होती है. उनकी देखादेखी उनके समर्थकों ने भी इसी नंबर की गाड़ियां रखी हैं, जो धनंजय सिंह के काफिले में आम तौर पर शामिल होती हैं.
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बनारस के बाहुबली बृजेश सिंह 0108 नंबर वाली गाड़ियों के काफिले में चलते हैं. वहीं उनके भतीजे और चंदौली के सैय्यद राजा से विधायक सुशील सिंह को 0001 नंबर खास पसंद हैं. उनके काफिले में शामिल ज्यादातर गाड़ियां इसी नंबर वाली होती हैं.
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बीजेपी के दिग्गज नेता और कैसरगंज से पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को 9000 नंबर पसंद हैं. इसलिए उनके काफिले में शामिल होने वाली ज्यादातर गाड़ियां इसी नंबर की होती हैं. हालांकि वह खुद ज्यादातर 3033 नंबर वाली गाड़ी में सवारी करते हैं. उनके काफिले में केवल इन्हीं दो नंबर वाली गाड़ियां शामिल होती हैं. उनके पास इन नंबर वाली गाड़ियों का बड़ा कलेक्शन है.
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फैज़ाबाद में गोसाईगंज से बाहुबली विधायक अभय सिंह के काफिले में 7273 नंबर वाली गाड़ियों को शामिल किया जाता है. इसमें ज्यादातर गाड़ियां उनकी खुद की होती हैं. इन सभी गाड़ियों पर यही नंबर लिखे होते हैं. उनके कई समर्थकों के पास भी इसी नंबर की गाड़ियां हैं.
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कुंडा विधायक राजा भैया को भी स्पेशल नंबर वाली गाड़ियों का बहुत शौक है. उन्हें खासतौर पर दो नंबर 0001 और 0072 बहुत पसंद है. उनके पास इन दो नंबर वाली गाड़ियों का बड़ा कलेक्शन है. वह जब सड़कों पर निकलते हैं तो इन नंबर वाली गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती है.
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पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के काफिले में 0786 और 007 नंबर वाली गाड़ियों की लंबी कतार होती थी. मुख्तार की गाड़ियां आमतौर पर एक ही कलर की और एक ही नंबर की होती थीं.
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माफिया डॉन अतीक अहमद 0786 नंबर वाली गाड़ियों के काफिले में चलता था. उसके साथ चलने वाली सभी गाड़ियों का रंग और नंबर एक जैसा होता था. यहां तक कि इन गाड़ियों में बैठे गुर्गे भी एक विशेष कलर के ड्रेस कोड में नजर आते थे.