चंदौली के इस सरोवर में स्नान करने से भर जाती है गोद! 300 साल पुरानी परंपरा; Photos

चंदौली जिले में एक ऐसा तालाब है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्नान करने भर से बांझपन की समस्या दूर हो जाती है. इसी मान्यता के तहत दूर-दूर से महिलाएं इस तालाब में स्नान के लिए आती हैं. मनौती मांगती हैं और मनौती पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाती हैं.

चंदौली के इस सरोवर में स्नान करने से भर जाती है गोद! 300 साल पुरानी परंपरा; Photos
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में एक ऐसा तालाब है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्नान करने भर से बांझपन की समस्या दूर हो जाती है. इसी मान्यता के तहत दूर-दूर से महिलाएं इस तालाब में स्नान के लिए आती हैं. मनौती मांगती हैं और मनौती पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाती हैं.
इनपुट- विवेक कुमार पांडेय, चंदौली
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चंदौली के इस सरोवर में स्नान करने से भर जाती है गोद! 300 साल पुरानी परंपरा; Photos
इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन सैकड़ों वर्षो से यह परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि जिस किसी महिला को बच्चा नहीं होता हो, वह इसमें स्नान के बाद जामेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करे तो उसकी मन्नत पूरी हो जाती है.
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यह मंदिर चंदौली के नई बाजार के पास जाम डीह में है. इस थान की मुख्य मान्यता जामेश्वर महादेव को लेकर है. जामेश्वर महादेव मंदिर के पास ही यह सरोवर भी है. यहां दीपावली के बाद पुत्र प्राप्ति के लिए महिलाएं मन्नत मांगने के लिए आती हैं.
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सरोवर में स्नान के बाद श्रद्धालु जोड़वा शिवलिंग वाले बाबा के दर्शन करते हैं. कहा जाता है कि यहां स्वयंभू जुड़वा शिवलिंग है. शिवलिंग के पास ही सरोवर भी है, जिसे कभी हवन कुंड के रूप में मान्यता थी.
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इस मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा किसी को नहीं है. स्थानीय लोगों के मुताबिक आधुनिक काल में इस मंदिर का पुर्नरुद्धार शिवभक्त सुखलाल आग्रहरी ने कराया था. मान्यता है कि उनके सपने में एक बार पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग दिखा था.
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उन्हें प्रेरणा हुई कि शिवलिंग की स्थापना कराने से उनको पुत्र की प्राप्ति होगी. अगले दिन वह सोकर उठे और देखा तो वास्तव में वहां चमत्कारिक शिवलिंग था. इसे देखकर उनके मन में मंदिर की स्थापना और फिर पुत्र प्राप्ति की इच्छा हुई.
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कहा जाता है कि इसके बाद उन्होंने विधि विधान से शिवलिंग की स्थापना कराई और मंदिर बनवाया. इस दौरान उन्होंने यज्ञ के लिए जिस स्थान पर हवन कुंड बनवाया, वहीं स्थान आज पवित्र सरोवर के रूप में मौजूद है. कहा जाता है कि इससे उनकी मनोकामना पूरी हुई थी.
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उसी समय से एक परंपरा शुरू हो गई और मान्यता हो गई कि जो भी व्यक्ति इस कुंड में स्नान करने के बाद महादेव के दर्शन करेगा, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी. इसी मान्यता के तहत आज भी दीपावली के समय बड़ी संख्या में महिलाएं इस कुंड में स्नान करने के लिए आती हैं.
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