सहारनपुर जिला कारागार लगभग 149 साल पहले अंग्रेजों ने रोहिलाओ के इस किले को जिला कारागार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया. 1870 में इसे आधिकारिक तौर पर जिला कारागार घोषित कर दिया गया था. इतिहासकार बताते हैं कि यहां पर रोहिला वंशजों का एक बड़ा किला हुआ करता था. कहा जाता है कि इस किले के अंदर आज भी कई रहस्य दफन हैं.
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भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसके महत्व को देखते हुए सहारनपुर जिला जेल को संरक्षित कर राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है. जेल के अंदर किसी भी तरह के निर्माण और तोड़फोड़ के कामों पर प्रतिबंध लगाया गया है. कुछ ही समय में एएसआई इसे अपने कब्जे में लेकर इतिहास की अहम कड़ियां ढ़ूढ़ने की कोशिक करेगी.
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कुछ समय पूर्व जिला जेल में पुरातत्व विभाग की टीम ने खुदाई की थी जिसमें कुछ चीजें ऐसी पाई गई, जिससे ये पता चला कि यहां राजा रहा करते थे. पुरातत्व विभाग से मिले नोटिस के बाद जिला जेल को शिफ्ट करने के लिए कवायत शुरू हो चुकी है.
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साहित्यकार वीरेंद्र आजम बताते हैं कि सहारनपुर में सन 1754 से लेकर 1789 तक रोहिलाओ का साम्राज्य रहा. सबसे आखरी शासक गुलाम कादिर 1789 तक रहा. गुलाम कादिर ने कंपनी बाग के लिए जगह छोड़ी थी और नवाबगंज क्षेत्र उसका बसाया हुआ है और उसी टाइम में यह रोहिला किला भी बनाया गया था.
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फिलहाल सहारनपुर जिला जेल यानी रोहिलाओ के इस किले में 1900 से ज्यादा कैदी मौजूद हैं. जेल प्रशासन बंदियों को रखने के लिए नई बैरक नहीं बनवा सकता क्योंकि पुरातत्व विभाग ने निर्माण पर रोक लगाई हुई है. अब नई जेल के लिए जमीन तलाश की जा रही है.