BHU में डिजिटल रैगिंग! 28 MBBS छात्रों पर एक्शन, फ्रेशर्स को देते थे ये टास्क
फिजिकल रैगिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बाद अब डिजिटल रैगिंग का नया तरीका सामने आया है. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में डिजिटल रैगिंग के आरोप में 28 सीनियर MBBS छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया गया है. चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) के 40 से ज्यादा छात्र इसके शिकार हो चुके हैं.

बनारस में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में सीनियर छात्रों द्वारा फ्रेशर्स पर डिजिटल रैगिंग का मामला सामने आया है. फिजिकल रैगिंग पर हुई सख़्ती के बाद छात्रों ने रैगिंग करने का ये नया तरीका निकाला है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच में बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) के 28 सीनियर छात्रों को दोषी है. सभी पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगा और हॉस्टल से निलंबित किया गया है.
एंटी रैगिंग एक्ट के तहत में छात्रों के साथ रैगिंग करने के लिए सजा का प्रावधान है. इसके बावजूद छात्रों को मानसिक और शारीरिक यातनाएं झेलनी पड़ रही है. बीएचयू में पहली बार डिजिटल रैगिंग का केस सामने आया है. जांच में बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) के 28 सीनियर छात्रों को दोषी पाया गया. सभी पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगा और हॉस्टल से निलंबित किया गया है.
रात बारह बजे के बाद शुरू होती थी रैगिंग
बीएचयू में मेडिकल साइंस के सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्रों से “डिजिटल रैगिंग” की है. टेलीग्राम ऐप पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर 40 से अधिक छात्रों को प्रताड़ित किया गया. विश्वविद्यालय ने छात्रों को अज्ञात नंबरों से सावधान रहने और टेलीग्राम जैसे ऐप्स से दूरी बनाने की सलाह दी है. गौर करने वाली बात है कि यह घटना छह महीने से चल रही थी.
यूजीसी की शिकायत के बाद दोषी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई. यह मामला रैगिंग से जुड़ा है. लेकिन ये साधारण रैगिंग नही थी. ये डिजिटल रैगिंग थी जो टेलीग्राम के माध्यम से रात बारह बजे के बाद शुरू होती थी. टेलीग्राम ऐप के माध्यम से रात में अश्लील वीडियो कॉल और अपमानजनक कार्य किए जाते थे. सीनियर्स फ्रेशर्स को अलग-अलग टास्क देते थे.
थप्पड़ मारने से लेकर कपड़े उतारने का टास्क
टेलीग्राम पर जूनियर छात्रों के पास फैकल्टी मेंबर्स /डॉक्टर्स/प्रोफ़ेसर्स के नाम से फोन जाता था. और उनके फोन उठाते ही रैगिंग शुरू हो जाती थी. टेलीग्राम पर रैगिंग करने वाला अपना वीडियो म्यूट कर लेता था. जूनियर छात्रों को टास्क में एक-दूसरे को थप्पड़ मारने, कपड़े धुलवाने और डांस के साथ कपड़े भी उतारने को लेकर प्रताड़ित किया जाता था.
विरोध जताने वाले जूनियर छात्रों को क्लास से बहिष्कार की धमकी दी जाती थी. बीएचयू की एंटी रैगिंग स्क्वाड की चेयर पर्सन डॉक्टर रोयाना सिंह ने बताया कि छह महीने पहले एमबीबीएस के नए बच्चे जब आएं उसके बाद की ये घटना है. क्लास में बच्चे अक्सर सोते हुए मिले. कुछ बच्चे छुट्टी का बहाना कर घर चले गएं. तब हमें कुछ कुछ शक हुआ.
छात्रों के अभिभावकों को किया गया तलब
डॉक्टर रोयाना सिंह ने बताया कि हमने बच्चों को भरोसे में लेकर उनकी कॉउंसलिंग की तब इस बात की जानकारी हुई. कुछ बच्चों की शिकायत यूजीसी के माध्यम से भी मिली. डिजिटल रैगिंग का ये मामला तीन से चार महीने तक चला है. लंबे समय से प्रताड़ना झेल रहे कुछ छात्रों ने यूजीसी को मेल से भी शिकायत की, जिसके बाद जांच शुरू हुई.
आरोपी छात्रों ने टेलीग्राम एप पर एंटी रैगिंग स्क्वाड के नाम से फर्जी प्रोफाइल तैयार की थी. तीन से चार समूहों में टेलीग्राम पर वीडियो काल के जरिये 40 से अधिक जूनियर छात्रों के कपड़े उतरवाए. यह समूह 10-10 छात्रों के बनाए गए थे ताकि कोई पकड़ा नहीं जा सके. डॉक्टर रोयाना सिंह ने बताया कि डिजिटल रैगिंग में शामिल छात्रों के अभिभावकों को भी हमने बुलाया है.



