क्या कांग्रेस बदल पाएगी यूपी में अपनी तकदीर? मिशन 2027 के लिए टीम राहुल के नए दांव
उत्तर प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको देखते हुए कांग्रेस अपनी रणनीतियों में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में पार्टी की तरफ से लखनऊ में किसान न्याय योद्धा सम्मेलन आयोजित किया गया.

यूपी में कांग्रेस एक बार फिर से अपनी खोई सियासी जमीन हासिल करने के कोशिशों में लगी हुई है. पार्टी इस बार नए जोश और रणनीति के साथ मैदान में उतरी है. पार्टी का फोकस ऊपरी स्तर की रणनीतियों से इतर जमीन स्तर पर संगठन को मजबूत करने का है. लखनऊ में 6 अक्टूबर को आयोजित कांग्रेस का “किसान न्याय योद्धा सम्मेलन” ने इस नए मिशन की झलक पेश की.
कांग्रेस ने अपने नए रणनीतियों में किसानों, युवाओं और महिलाओं को केंद्र में रखा है. सम्मेलन के दौरान डिजिटल किसान न्याय योद्धाओं का परिचय कराया गया, जो राहुल गांधी के संदेश को गांव-गांव तक ले जाने का काम करेंगे. इस बीच किसानों के 10 प्रमुख मांगों की भी चर्चा हुई. इसमें MSP की कानूनी गारंटी, गन्ना मूल्य वृद्धि, महंगी बिजली दरों और स्मार्ट मीटर की वापसी, फसल बीमा, कर्ज माफी, और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत मुआवजे जैसे मुद्दे शामिल थे. कांग्रेस ने इन मांगों को लेकर सड़क से लेकर विधानसभा तक संघर्ष का ऐलान किया है. साथ ही, “वोट चोर गद्दी छोड़ो” हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया गया.
जातियों और समुदायों पर फोकस
1990 के दशक में मंडल और कमंडल की राजनीति ने कांग्रेस का सामाजिक आधार कमजोर कर दिया था. अब पार्टी इस आधार को दोबारा हासिल करने के लिए जातियों और समुदायों के साथ सीधा संवाद करने का फैसला किया है. अक्टूबर और नवंबर में जाट, गुर्जर, पासी, निषाद, लोधी जैसे समुदायों के साथ विषय-आधारित बैठकें आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया है . पहला बड़ा सम्मेलन 14 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर में होगा, जहां जाट किसानों का प्रभाव मजबूत है. हाल के किसान आंदोलन की लहर को देखते हुए कांग्रेस इसे अपने पुनर्जनन का शुरुआती बिंदु बनाना चाहती है.
बड़े स्तर पर पदाधिकारियों की हो रही नियुक्ति
कांग्रेस ने संगठन को जमीनी ताकत देने के लिए कुछ बड़े कदम उठाने का फैसला किया है. पार्टी ने दिसंबर तक 19.78 लाख पदाधिकारियों की नियुक्ति का लक्ष्य रखा है. यह पदाधिकारी राज्य, जिला, ब्लॉक, मंडल, और बूथ स्तर पर काम करेंगे. अब तक 8,000 मंडलों में नियुक्तियां हो रही हैं और 1.5 लाख बूथों पर पदाधिकारी नियुक्त किए जा चुके हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस का अब तक का सबसे बड़ा पुनर्गठन अभियान है. पार्टी अब पुराने नेताओं के साथ-साथ नए स्थानीय चेहरों पर भरोसा कर रही है, जो गांवों में सक्रिय हैं.
MLC और पंचायत चुनाव बताया सेमीफाइनल
.कांग्रेस ने विधान परिषद (MLC) और स्थानीय निकाय चुनावों को भी अपनी रणनीति का हिस्सा बनाया है. पार्टी ने 5 स्नातक और 6 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों की 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. इसके लिए एक कनेक्ट सेंटर बनाया गया है. यह सेंटर वोटर फॉर्म भरवाने और उम्मीदवारों के लिए संपर्क बढ़ाने का काम करेगा. शिक्षक प्रकोष्ठ ने दिसंबर में विधान भवन घेराव की योजना बनाई है. पंचायत चुनावों को पार्टी ने 2027 के लिए “सेमीफाइनल” करार दिया है. कांग्रेस 75 जिला पंचायतों, 826 ब्लॉकों, और 58,000 पंचायतों में करीब 3,500 सीटों पर लड़ेगी. यह न केवल संगठन की ताकत की परीक्षा होगी, बल्कि नए नेतृत्व को उभारने का अवसर भी होगा.
नए चेहरों का स्वागत, पुराने का सम्मान
कांग्रेस अब उन नेताओं पर ध्यान दे रही है जो विचारधारा के लिए पार्टी से जुड़ रहे हैं. वाराणसी में आम आदमी पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष रमाशंकर पटेल और पूर्व महानगर अध्यक्ष अखिलेश पांडे हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए. पार्टी ने युवाओं और महिलाओं को भी संगठन में अहम जिम्मेदारियां दी हैं. पूनम विश्वकर्मा को महिला महानगर अध्यक्ष और अनुराधा यादव को जिला महिला कमेटी की अध्यक्षता दी गई है. पुराने नेताओं जैसे अनिल श्रीवास्तव और प्रज्ञानाथ शर्मा को भी जोनल कोऑर्डिनेटर बनाकर अनुभव और नई ऊर्जा का संतुलन बनाया गया है.
महिलाओं, दलितों और बटाईदारों पर फोकस
कांग्रेस के मुताबिक उसने उन तबकों पर ध्यान देना शुरू किया है जो हाशिए पर रहे हैं. महिला किसान, दलित किसान, और बटाईदारों को अभियान का हिस्सा बनाया गया है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से बने भरोसे को अब संगठनात्मक ताकत में बदला जा रहा है. पार्टी ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसान समूहों और दलित पंचायतों में संवाद बैठकों की योजना बना रही है.
प्रचार के लिए चुना ये तरीका
कांग्रेस ने प्रचार के लिए अब साप्ताहिक बाजारों और ग्रामीण मेलों को चुना है. यहां प्रचार सामग्री वितरण, सदस्यता अभियान, और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित होंगे. स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों से संपर्क साधकर पार्टी अपनी ऐतिहासिक पहचान को वर्तमान संघर्ष से जोड़ रही है. अविनाश पांडे कहते हैं, “राहुल गांधी किसानों और युवाओं की उम्मीद हैं. उनकी स्वीकार्यता हमें संगठन को फिर से जीवित करने का आत्मविश्वास देती है.
खेतों के जरिए मिलेगी सत्ता?
उत्तर प्रदेश में सत्ता की राह खेतों और गांवों से होकर गुजरती है, और कांग्रेस अब इस हकीकत को समझ चुकी है. पार्टी तात्कालिक लहरों के बजाय दीर्घकालिक संगठनात्मक ढांचे पर दांव लगा रही है. भले ही सत्ता में वापसी तुरंत हो या न हो, लेकिन कांग्रेस ने खुद को फिर से प्रासंगिक बनाने का ठोस प्रयास शुरू कर दिया है. यह नया कमबैक प्लान न केवल चुनावी रणनीति है, बल्कि पार्टी की सोच में आए बदलाव का भी प्रतीक है.