स्वामी प्रसाद मौर्य का बड़ा दांव, बनाई लोक मोर्चा पार्टी और खुद ही बने CM कैंडिडेट
यूपी की राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कई दलों के साथ मिलकर लोक मोर्चा का गठन किया है. इसके साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव 2027 के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है. यह गठबंधन आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों में प्रभावी भूमिका निभा सकता है. आज वो पार्टी से जुड़ी रणनीतियों के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं.
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया मोड़ आया है. पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पंचायत चुनाव और डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई दलों के साथ मिलकर लोक मोर्चा का गठन किया है. इस मोर्चे ने उन्हें सर्वसम्मति से 2027 विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य का सियासी सफर पिछले कुछ सालों में उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा था, लेकिन सपा में उनका सफर ज्यादा लंबा नहीं चला. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता पार्टी के नाम से अपना नया दल बनाया. अब लोक मोर्चा के गठन के साथ मौर्य ने एक बार फिर विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उतरने का ऐलान किया है.
आज करेंगे पार्टी की रणनीतियों की चर्चा
मौर्य के निजी सचिव सज्जाद अली ने बताया कि लोक मोर्चा में शामिल दलों ने स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा चुनाव के लिए सीएम पद का उम्मीदवार चुना है. मोर्चे की आगामी रणनीति और योजनाओं का खुलासा वो 12 जून को करेंगे. उनका ये कदम उत्तर प्रदेश की सियासत में नई हलचल पैदा कर सकता है. अब सभी की नजर इस बात पर है कि लोक मोर्चा की रणनीति और गठबंधन की ताकत क्या होगी?
स्वामी प्रसाद मौर्य का यह कदम न केवल आगामी पंचायत चुनावों, बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों को भी प्रभावित करेगा. राजनीतिक गलियारों में लोक मोर्चा किन दलों को अपने साथ जोड़ पाता है. ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है. साथ ही वो इस पार्टी से कितना जनसमर्थन जुटा पाता है. ये भी आगे का समय बताएगा. इस गठबंधन की मजबूती, संगठनात्मक ढांचा और नेतृत्व क्षमता ही तय करेगी कि क्या यह मोर्चा यूपी की सत्ता तक पहुंचने में सक्षम हो पाएगा या नहीं.