ताज ही नहीं, यह खास मिठाई भी है आगरा की पहचान; वेराइटी और स्वाद जानकर आप हो जाएंगे हैरान

उत्तर प्रदेश का आगरा ताजमहल के अलावा अपने स्वादिष्ट पेठे के लिए भी प्रसिद्ध है. 1940 के आसपास शुरू हुआ पेठा का उत्पादन आज 56 से ज़्यादा किस्मों में उपलब्ध है. पहले आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल होने वाला पेठा, पंछी लाल के प्रयोगों से विकसित हुआ और आज दुनिया भर में पसंद किया जाता है.

आगरे का पेठा

देश में, विदेश में, आगरा शहर की पहचान के तौर पर ताजमहल का नाम कौन नहीं जानता. लेकिन आगरा की एक और पहचान बहुत खास है. इस शहर को ताज सिटी के अलावा पेठा सिटी के नाम से भी जाना और पहचान जाता है. जी हां, आप आगरा घूम लिए और यहां का लजीज पेठा नहीं खाया तो आपकी यात्रा अधूरी ही कही जाएगी.

यही वजह है कि जो भी आगरा आता है, पांच-10 डिब्बे पेठा अपने गांव या शहर जरूर ले जाता है. इस प्रसंग में हम आज उसी पेठा की कहानी बताने जा रहे हैं. आगरा के मशहूर पंछी पेठा के मालिक सुनील गोयल कहते हैं यहां पेठा बनाने की शुरूआत 1940 के आसपास हुई थी. उस समय यहां एक या दो प्रकार के ही पेठा बनते थे.

सुनील गोयल के मुताबिक पेठे का इतिहास इसके औषधीय गुणों से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि पेठा 1940 से पहले भी बनता था, लेकिन उन दिनों यह आयुर्वेदिक औषधि के रूप में ही बनता था. वैद्य इसका उपयोग अम्लावित्त, रक्तविकार, वात प्रकोप और जिगर की बीमारी के लिए करते थे.

आज यहां 56 प्रकार और 56 स्वाद का पेठा बन रहा है. यहां पेठे के स्वाद और प्रकार पर अभी भी रिसर्च चल रहा है और रोज नए प्रयोग हो रहे हैं. बाद में इसमें प्रयोग शुरू हुए और 1940 के बाद दो से तीन तरह का पेठा बाजार में आया. फिर पंचम लाल जिन्हें लोग प्यार से पंछी लाल कहते थे ने लगातार कई प्रयोग किए.

इससे पेठे के प्रकार और स्वाद में बदलाव आता गया. उन्होंने बताया कि यह खास मिठाई पेठा यानी ‘कुम्हड़ा’ नामक फल से बनाया जाता है, जिसके औषधीय गुणों के कारण इसका उल्लेख संस्कृत शब्द ‘कूष्मांड’ के नाम से कई चिकित्सीय विधियों में मिलता है. पहले पेठा बनाने में खांड़ का प्रयोग होता था, लेकिन पंछी लाल ने चीनी और सुगंध का इस्तेमाल किया. यही नहीं, उन्होंने रसीला पेठा बनाना शुरू किया.

पंछी लाल के पोते और पंछी पेठा स्टोर के मालिक सुनील गोयल कहते हैं कि चीनी और सुगंध के बाद पेठे में केसर और इलायची के साथ नए ज़ायक़े का उदय हुआ. 1958 के बाद सूखे मेवे जैसे पिस्ते, काजू, बादाम आदि का भी प्रयोग किया जाने लगा, जो धीरे-धीरे यह पेठा देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब पसंद किया जाने लगा.

साल 2000 के बाद तो सैंडविच पेठा भी बनने लगा है. इसमें काजू, किशमिश, चिरौंजी आदि का पेस्ट भरा जाता है. इस समय बाज़ार में पान गिलोरी पेठा, गुजिया पेठा, चॉकलेट कोको पेठा, लाल पेठा, दिलकश पेठा, पिस्ता पसंद, पेठा रस भरी, पेठा मेवावाटी, शाही अंगूर, पेठा बर्फी, पेठा कोकोनट, संतरा स्पेशल, पेठा चेरी, पेठा शालीमार, और गुलाब लड्डू जैसे कई प्रकार के पेठे उपलब्ध हैं.