उर्दू बाजार, किराए का एक मकान और घर-घर में जिसकी किताब…ऐसे गीताप्रेस की रोचक कहानी

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान से जाने जा रहे गोरखपुर का पुराना परिचय गोरखपुर स्थित गीता प्रेस है. गीता प्रेस की पुस्तकें पूरे भारत ही नहीं विश्व की कोने-कोने में पढ़ी जाती है. हिन्द धर्म में आस्था रखने वालों के यहां गीता प्रेस की पुस्तकों का मिल जाना सहज घटना है. […]

गोरखपुर और गीता प्रेस

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान से जाने जा रहे गोरखपुर का पुराना परिचय गोरखपुर स्थित गीता प्रेस है. गीता प्रेस की पुस्तकें पूरे भारत ही नहीं विश्व की कोने-कोने में पढ़ी जाती है. हिन्द धर्म में आस्था रखने वालों के यहां गीता प्रेस की पुस्तकों का मिल जाना सहज घटना है. पर क्या आपको मालूम है कि गोरखपुर की गीता प्रेस किस तरह वजूद में आई. इस स्टोरी में ऐसे ही कुछ चीजों की बात.

गीता प्रेस के इतिहास पर आने से पहले इससे जुड़े कुछ रिकॉर्ड जान लीजिए. पिछले 100 वर्षों में गीता प्रेस ने 15 भाषाओं में लगभग 100 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं. गीता प्रेस में श्रीमद्भागवत गीता, श्रीरामचरितमानस, महाभारत, बाल्मीकि रामायण, पुराण से कालजई ग्रंथों का प्रकाशन करता रहा है. गीताप्रेस इसके अलावा मासिक पत्रिका कल्याण का भी प्रकाशन करता है. गीता प्रेस से छपने वाली कल्याण की अब तक लगभग 17 करोड़ प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं.

उर्दू बाजार और किराए का वो एक कमरा!

सन 1921 में कोलकाता में गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना सेठ जयदयाल गोयनका ने की थी. गीता का प्रकाशन उन्होंने इसी ट्रस्ट के माध्यम से शुरू किया था. शुद्धतम गीता के लिए प्रेस को कई बार संशोधन करना पड़ा था. इसी दौरान छापाखाना यानी प्रेस के मालिक ने जयदयाल गोयनका से कहा कि इतनी शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगवा लीजिए. जिसके बाद से जयदयाल गोयनका ने इस बात को महावीर प्रसाद पोद्दार और घनश्याम दास जालान को बताया. इसके बाद 1923 में गोरखपुर के उर्दू बाजार में किराए के एक कमरे के अंदर गीता का प्रकाशन शुरू हुआ. आज गोरखपुर का गीता प्रेस विशाल रूप ले चुका है. ये गीता प्रेस 2 लाख वर्ग मीटर में फैला हुआ है. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 29 अप्रैल 1955 को गीता प्रेस भवन के मुख्य द्वार पर लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन किया था.

पढ़ना-लिखना सिखा रही गीता प्रेस

गीता प्रेस अपने धार्मिक पुस्तकों के लिए पूरे संसार में जाना जाता है. लेकिन गीता प्रेस ने अपने दायित्व को केवल धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन तक ही सीमित नहीं रखा है. बल्कि वह नई पीढ़ी को पढ़ना लिखना भी सिखा रही हैै. गीता प्रेस में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में बच्चों के लिए भी पुस्तके प्रकाशित होती हैं. जिसमें वर्णमाला, हिंदी बाल पोथी, बाल सहित जैसे पुस्तक के साथ-साथ महापुरुषों के जीवन पर आधारित पुस्तकें शामिल हैं. जिससे बच्चों में संस्कार के साथ-साथ शिक्षा भी मिलती है. गीता प्रेस की खास बात यह भी है कि ये संस्था प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाल महामारी सहित कई आपदाओं में समाज की मदद के लिए आगे आती रही है. वहीं, गीता प्रेस महापुरुषों के जीवन पर आधारित प्रेरणादायक कहानियां भी प्रकाशित करता है, जो बच्चों में संस्कार पैदा करती है.