लखनऊ और आजमगढ़ के बाद अब कानपुर में भी दो अधिकारियों के बीच खींची तलवार

उत्तर प्रदेश में अधिकारियों के बीच बीच शुरू हुई लड़ाइयां थमने का नाम नही ले रही हैं. मौजूदा मामला कानपुर का है, जहां डीएम और सीएमओ के बीच तलवारें इस कदर खिंची कि इस पूरे मामले में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की भी एंट्री हो गई. अब देखना ये होगा कि किसका पलड़ा भारी होता दिखाई देगा.

सांकेतिक तस्वीर Image Credit:

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आजकल अधिकारियों के बीच की खींचतान खुलकर सामने आ रही है. इसकी शुरुआत तो कुछ वक्त पहले लखनऊ से हुई लेकिन अब बढ़ते हुए ये सिलसिला आजमगढ़ होते हुए अब कानपुर पहुंच गया है. कानपुर में डीएम और सीएमओ के बीच का विवाद तूल पकड़ रहा है. ये विवाद लगातार सुर्खियों की वजह बन रहा है. अब इस मामले में अधिकारियों के अलावा जन प्रतिनिधियों की भी एंट्री हो गई है. इस मामले को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सीएमओ के पक्ष को लेकर डिप्टी सीएम को पत्र भी लिखा है.

स्वास्थ सिस्टम है ध्वस्त

लोगों की मानें तो कानपुर की लचर स्वास्थ व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. यहां सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टर अपने अस्पताल चला रहे हैं. इन अस्पतालों में सरकार के मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं. ये अस्पताल भ्रष्टाचार की पहचान बन चुके हैं, जहां आने वाले मरीजों को लूटने- घसोटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है. डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की लाख कवायद के बावजूद जब हालात में कोई सुधार नही हुआ, तो उन्होंने अनियमिता और लापरवाही का हवाला देते हुए सीएमओ हरिदत्त नेमी को कानपुर से हटाने की सिफारिश शासन को भेज दी.

सीएमओ के ऑडियो आए सामने

इसके बाद सोशल मीडिया पर सीएमओ के कई ऑडियो वायरल हुए जिसमें डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं. इसके अलावा अल्ट्रासाउंट सेंटर को अनुमोदित करने के रेट, पैसे कमाने के तरीके जैसी बातें भी सामने आईं. हालांकि बाद में सीएमओ हरिदत्त नेमी ने कहा कि ये ऑडियो उनके नहीं है.

सीएमओ के सपोर्ट में आए विधानसभा अध्यक्ष

इस पूरे प्रकरण में अब तीन तीन जन प्रतिनिधियों की एंट्री भी हो गई है। एक तरफ जहां डीएम ने सीएमओ को हटाने की सिफारिश शासन से की है वहीं दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, एमएलसी अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने डिप्टी सीएम को पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि सीएमओ हरिदत्त नेमी को कानपुर में ही बनाए रखा जाए. अपने पत्र में उन्होंने सीएमओ को मृदुभाषी और व्यवहार कुशल बताया. इस पत्र के मीडिया में आने के बाद अब चर्चा ये है कि किसका पलड़ा भारी रहेगा. क्या डीएम की सिफारिश पर सीएमओ को हटाया जाएगा या फिर जन प्रतिनिधियों के पत्र के बाद हरिदत्त नेमी कानपुर के सीएमओ बने रहेंगे.