छोटे से गांव से निकलकर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा यूपी का ये युवा वैज्ञानिक
कहते हैं न कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है यूपी के रहने वाले मुनीर खान ने. मुनीर अब एक उभरते हुए युवा वैज्ञानिक हैं. उन्होंने एक ऐसा आविष्कार कर दिखाया है, जिसके चलते दुनियाभर में उनको सम्मानित किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर से ताल्लुक रखने वाले मुनीर की परवरिश बेहद गरीबी के हालातों में हुई. उनकी मां का कहना है कि बेटे की पढ़ाई बीच में न छूट जाए इसीलिए उन्होंने अपनी बकरियां तक बेच दी थीं.
बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुनीर ने एक ऐसा आविष्कार कर दिया है, जिसके चलते आने वाले दिनों में ब्लाइंड पर्सन्स की जिंदगी बेहद आसान होने वाली है. उनके AI चश्में के जरिए कोई भी ब्लाइंड व्यक्ति उसी तरह से अपने रोजमर्रा के काम कर सकता है, जैसे कि एक सामान्य इंसान. उनका कहना है उनके इस इनोवेशन में डॉ. राजीव कुमार का योगदान बेहद अहम है.
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वैज्ञानिकों का मानना है कि इस इनोवेशन के चलते पूरी दुनिया में ऐसे लाखों लोग, जो अपनी आंखों की रोशनी पूरी तरह से खो चुके हैं, वे भी अपनी आगे की जिंदगी सामान्य तराके से गुजार सकते हैं. इसके लिए युवा वैज्ञानिक मुनीर ने अपने AI ग्लासेज में माइक्रो चिप लगाई है. इसी के चलते कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, मुनीर खान को खासतौर से WI-FO प्रोग्राम के तहत सम्मानित करने जा रही है.
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इसका पहला प्रदर्शन IIT मुंबई टेकफेस्ट 2024 में हुआ था और अब तक 1500 से अधिक लोगों पर उनके इन ग्लासेज का सफल क्लिनिकल ट्रायल भी हो चुका है. उनका ये आविष्कार भारत के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि से कम नहीं है. मुनीर खान ने अपने इनोवेशन के जरिए ये प्रूफ कर दिया है कि भारत भी साइंस की दुनिया में किसी से कम नहीं है.
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उनकी वैज्ञानिक पहलों के चलते उन्हें कई देशों के प्रतिष्ठित अवार्ड मिल चुके हैं. इनमें 2025 में उन्हें न्यूयॉर्क में आयोजित मिलार्ड चान टेक्नोलॉजी चैलेंज में Engineering for Humanity Award 2025 से सम्मानित किया गया था, इसके चलते उनको तकनीकी नवाचार की दुनिया में नई पहचान मिली.
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उनके वैज्ञानिक प्रयासों को भारत सरकार ने भी सराहा और 2024 में उन्हें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान द्वारा, पूर्व CJI पी. सथाशिवम की उपस्थिति में “Distinguished Young Scientist Award” प्रदान किया गया.
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दुनिया की जानी- मानी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 2025 में “Young Innovator of the Year” अवार्ड से नवाजा. इसके चलते उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत का गौरव बढ़ाया.
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2013 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने उनकी प्रतिभा को सराहते हुए “युवा वैज्ञानिक पुरस्कार” से सम्मानित किया था. उस समय मुनीर महज़ 11 वीं क्लास के स्टुडेंट थे. लेकिन उन्होंने एक ऐसा मॉडल विकसित किया था, जिसके चलते वेस्ट मटेरियल से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट की जा सके.
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मुनीर खान, उन बच्चों के लिए एक मोटिवेशन का जरिया हैं, जो संसाधनों का न होना अपने सपनों के लिए एक बाधा के तौर पर देखते हैं. मुनीर ने ये मिशाल कायम की है कि अगर सच्ची लगन से काम किया जाए तो आप बेशक वहां पहुंच सकते हो, जहां आप पहुंचना चाहते हो. फिर चाहे आपके पास संसाधन भले ही कम हों.
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मुनीर अपने घर के पहले ऐसे शख्स हैं, जो कि ग्रजुएट हैं. इसके पहले उनकी फैमिली में किसी ने 12 वीं तक भी पढ़ाई नहीं की थी. उनकी मां का कहना है कि हर इंसान को अपने बच्चों को मुकम्मल शिक्षा जरूर दिलवानी चाहिए. इसके लिए चाहे कितनी भी परेशानियों का सामना क्यों न करना पड़े.