घटती कमाई और टूटते सपने, UK डील पर टिकी सहारनपुर लकड़ी उद्योग की नजरें

सहारनपुर का प्रसिद्ध लकड़ी नक्काशी उद्योग का कारोबार कभी 1500-2000 करोड़ तक हुआ करता था. लेकिन आज यह दो से तीन सौ करोड़ तक सिमट गया है. कारोबार में भारी गिरावट आई है. लेकिन भारत-UK ट्रेड डील उद्योग के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है.

घटती कमाई और टूटते सपने, UK डील पर टिकी सहारनपुर लकड़ी उद्योग की नजरें
सहारनपुर का प्रसिद्ध लकड़ी नक्काशी उद्योग, कई वैश्विक चुनौतियों के बाद गंभीर संकट का सामना कर रहा है. कारोबार में भारी गिरावट आई है और हजारों कारीगर बेरोजगार हुए हैं. हालांकि, भारत-UK व्यापार समझौते से उद्योग को पुनर्जीवित करने की उम्मीद जगी है.
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नोटबंदी फिर करोना महामारी उसके बाद रूस यूक्रेन युद्ध, इस्राइल फिलिस्तीन और ईरान की जंग और USA टैरिफ से सहारनपुर के प्रसिद्ध लकड़ी नक्काशी उद्योग को एक के बाद एक बड़े झटके लगे हैं. जो कारोबार कभी 1500-2000 करोड़ तक हुआ करता था आज दो से तीन सौ करोड़ तक सिमट गया है.
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लकड़ी उद्योग से जुड़े कारीगर ओर अन्य व्यापारी पिछले दस सालों से कारोबार के घाटे में जाने से परेशान हैं. वहीं, अब India-UK के बीच जो ट्रेड डील हुई है उस डील से एक बार फिर इस लकड़ी उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद की एक किरण नजर आई है. जिससे निर्यात में वृद्धि और रोजगार सृजन की संभावना है.
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कभी देश-दुनिया में मशहूर सहारनपुर का लकड़ी नक्काशी उद्योग आज गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है. सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस उद्योग से जुड़े हजारों करीगर अब रोज़गार के अभाव में पलायन कर रहे हैं. कुछ रिक्शा चला रहे हैं, तो कुछ दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं.
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सहारनपुर में लड़की उद्योग से 20 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हुए है और उन्हीं के साथ उनका परिवार भी जुड़ा है. पिछले कई सालों से कारोबार से जुड़े एक्सपोर्टर्स, छोटे मोटे दुकानदार या कारखाने के संचालक आर्थिक मंदी, बढ़े हुए टैक्स और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं की वजह से परेशान है.
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लकड़ी की नक्काशी की चाहे कोई गिफ्ट आइटम हो या फिर फर्नीचर इन सबकी डिमांड सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक रही है. अमेरिका , चाइना, मिडिल ईस्ट , यूके के अलावा कई अन्य देशों में लकड़ी के बने छोटे से लेकर बड़े आइटम एक्सपोर्ट होते थे.
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यहां तक की विदेशी ग्राहक सहारनपुर तक चलकर आते थे. लेकिन कई सालों से छोटे दुकानदार ऑर्डर की इंतजार में रहते हैं. कई बार तो ऐसा भी हुआ की कारोबारियों को विदेश से ऑर्डर मिले लेकिन बदली नीतियों के चलते लाखों डॉलर के वो ऑर्डर होल्ड पर कर दिए गए.
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एक्सपोर्टर अनस बताते है की लकड़ी पर हाथ से नक्काशी कर कलात्मक फर्नीचर, धार्मिक प्रतीक, गिफ्ट आइटम, शो-पीस, पैनल, अलमारियां और सजावटी दरवाजे तैयार करने का यह कारोबार केवल सहारनपुर की पहचान नहीं, लाखों परिवारों की आजीविका का आधार भी है .
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अब इंडिया-यूके ट्रेड डील हुई है उससे उन्हें उम्मीद की रोशनी नजर आई है. अनस का कहना है की UK के साथ हुई डील में हमें 15 से 20 परसेंट की ड्यूटी का सीधा फायदा होगा. यूके के साथ करीब 30000 करोड़ का सालाना इंपोर्ट होता है, जिसमें अकेले लकड़ी का कारोबार 2000 करोड़ का है.
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अनस का कहना है कि अब सरकार की इस डील की वजह से हमें राहत मिलेगी और हम अपने इस पारंपरिक कारोबार को बचा पाएंगे. लेकिन सरकार को भी हमारे बारे में सोचना चाहिए. कंटेनर तक के खर्चे बढ़े है, हमें सरकार से उम्मीद है कि हमारे लिए कोई विशेष पैकेज बनाया जाएगा.
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