UP के इस गांव में सांपों के काटने से क्यों नहीं होती है किसी की मौत?
आमतौर पर जहरीले सांप के काटने से किसी भी शख्स की मौत हो सकती है, लेकिन बलिया में एक ऐसा गांव है जहां पर मान्यता है कि सांप के काटने से किसी की भी मौत नहीं होती है.
उत्तर प्रदेश के बलिया में एक ऐसा गांव है, जहां सांप काटने की वजह से आज तक किसी की मौत नहीं हुई है. परिखरा गांव में रहने वाले बुजुर्गों का ऐसा दावा है कि ये क्षेत्र जैव विविधता का हब है, इस वजह से यहां सांप का जहर प्रभावी नहीं होता है. आखिर यह किसका वरदान है?. वैसे, यह पूरी कहानी यहां के चंदेल वंशज से जुड़ी हुई है.
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चंदेल वंशीय जिले के परिखरा के रहने वाले जयप्रकाश नारायण सिंह ने कहा कि रामवती देवी जिन्हें नाग माता के नाम से भी जाना जाता है, यह उनके खानदान की बेटी थीं. वो मिट्टी के घर में अनाज निकालने गई थीं, तो अचानक सांप ने डस लिया और उनकी मौत हो गई.
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मौत से पहले रामवती देवी ने कहा कि आज के बाद इस पूरे गांव में सांप काटने से किसी शख्स की मौत नहीं होगी. नाग माता का ये वरदान आज भी इस गांव में देखने को मिलता है. जय प्रकाश नारायण ने कहा कि इस गांव का कोई भी आदमी सांप को मारता नहीं है बल्कि, नाग माता का नाम लेकर एक रुपए के सिक्के से गोला बना देता है, तो सांप उसमें बंध जाता है और भाग नहीं पाता है. इसके बाद लकड़ी या डंडे के सहारे उसे कहीं फेंक दिया जाता है.
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नाग माता का पूजा न केवल चंदेल वंश के लोग बल्कि, पूरा गांव करता है. आज तक यहां सांप के काटने से किसी की मृत्यु नहीं हुई है. पहले इनकी स्थापना चंदेल वंश के घर में की गई थी. लेकिन, बाद में गांव के शिवाला पर इनका मंदिर बना दिया गया है. फिलहाल, जयप्रकाश नारायण इंदौर में रहते हैं. चंदेल वंश का दावा है कि अगर 1 साल के अंदर मंदिर में पूजा नहीं हुई, ये सांप के रूप में पीले रंग में बार-बार दिखने लगती है.
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दयानंद मिश्रा ने कहा कि उनकी उम्र 65 साल के लगभग हो गई है. जब से वह होश संभाले हैं, आज तक इस गांव में सांप के काटने से किसी के मौत की खबर सुनने को नहीं मिली हैं. यह गांव 1600 बीघा का रकबा है, इस पूरे परिक्षेत्र में सांप के काटने से कोई नहीं मरता है.