लखनऊ हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर फैसला सुरक्षित रखा, यथास्थिति बनाए रखने का मौखिक आदेश

लखनऊ हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यूपी में प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के मर्जर पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने मौखिक आदेश में कहा कि इसे लेकर जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक मर्जर की प्रक्रिया में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. इसे लेकर कई याचिकाएं लगाई गई हैं, जिनमें विभाग के आदेश को शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया गया.

लखनऊ खंडपीठ

लखनऊ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने यूपी के 5000 से अधिक प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीतापुर की कृष्णा कुमारी सहित 51 स्कूली बच्चों की याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की. इसे लेकर कोर्ट ने मौखिक रूप से आदेश दिया कि जब तक अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक स्कूल मर्जर की प्रक्रिया पर यथास्थिति बनाए रखी जाए.

पेश की ये दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा ने दलीलें पेश कीं. उन्होंने कहा कि स्कूलों को मर्ज करने को लेकर सरकार का ये फैसला राइट टू एजुकेशन एक्ट के खिलाफ है. इसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि ये निर्णय बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है. उन्होंने कहा कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को राज्य सरकार कैसे बदल सकती है? ये कदम हजारों बच्चों और शिक्षकों के भविष्य को खतरे में डाल सकता है.

याचिकाकर्ताओं के ये हैं तर्क

याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि स्कूलों के मर्जर से बच्चों को अपने घर से 2-3 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधाओं की कमी और संसाधनों के अभाव के चलते ये की शिक्षा में बड़ी बाधा बन सकता है. RTE के तहत, 300 की आबादी वाले क्षेत्र में एक किलोमीटर के दायरे में स्कूल होना अनिवार्य है. याचिकाकर्ताओं ने इसे सरकार के फैसले के खिलाफ प्रमुख तर्क के रूप में पेश किया.

सरकार की ये है दलील

राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेशिया ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा स्कूलों को बंद करने की नहीं है, बल्कि संसाधनों के बेहतर उपयोग और प्रबंधन के लिए ये कदम उठाया गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 58 ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी बच्चे का नामांकन नहीं है. इन स्कूलों को बंद करने के बजाय, इनका उपयोग दूसरे सरकारी कामों के लिए किया जाएगा.

कोर्ट ने ये कहा

गुरुवार को सरकार की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का अतिरिक्त समय मांगा था, जिसके बाद शुक्रवार को बहस पूरी हुई. जस्टिस पंकज भाटिया ने सुनवाई के बाद मौखिक रूप से आदेश दिया कि स्कूल मर्जर की प्रक्रिया में कोई कार्रवाई तब तक नहीं की जाएगी, जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता.