न ड्राइवर, न ही कंडक्टर… मेरठ रोडवेज पर कई महीने से खड़ी हैं 150 बसें, रोजाना 10 लाख का घाटा
मेरठ रोडवेज को हर दिन करीब 10 लाख रुपए का भारी घाटा हो रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह बस कंडक्टरों की कमी है, जिसके चलते 150 बसें परिचालन से बाहर है. सरकार को करीब 1000 कंडक्टरों की नियुक्ति करनी है, लेकिन अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है.

उत्तर प्रदेश रोडवेज को मेरठ में प्रतिदिन लगभग 10 लाख रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह बस कंडक्टरों की नियुक्ति में हो रही देरी है. मेरठ में रोडवेज में कंडक्टरों की भारी किल्लत की वजह से लगभग 150 बसे फिलहाल संचालन से बाहर हैं. मेरठ डिपो में कुल 900 बसें हैं, इनमें से 150 बसों में कंडक्टरों का अभाव है. हालांकि, सरकार की ओर से करीब 1000 कंडक्टरों की नियुक्ति होनी है, लेकिन प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है.
हालांकि, मृतक आश्रितों के कोटे से 50 लोगों को नियुक्त किया गया है, लेकिन यह संख्या अपर्याप्त है. रैपिड रेल और मेट्रो परियोजनाओं के कारण भी यात्रियों की संख्या में कमी आई है. इससे भी रोडवेज को नुकसान झेलना पड़ रहा है. अधिकारियों का मानना है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने पर स्थिति में सुधार आएगा. लेकिन सरकार की ओर से कंडक्टरों की भर्ती की अनुमति देने के बावजूद मेरठ रोडवेज को नियुक्ति के लिए कोई कंपनी अभी तक नहीं मिली है.
1000 कंडक्टरों की होनी है नियुक्ति
मेरठ में रोडवेज को कंडक्टरों की कमी से भारी नुकसान से गुजरना पड़ रहा है. वहीं, सरकार ने इसकी कमी पुरी करने के लिए रोडवेज में 1000 कंडक्टरों की भर्ती की अनुमति दी थी. लेकिन प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है. विभाग अब इस भर्ती के लिए किसी उपयुक्त कंपनी की तलाश कर रहा है, ताकि जल्द से जल्द नई नियुक्तियां हो सके. इस बीच मृतक आश्रित 80 लोगों को नियुक्ति मिली थी लेकिन उसमें से भी केवल 50 को ही नियुक्ति दी जा सकी है.
वहीं, बचे 30 कंडक्टरों की नियुक्ति के मामला में कोर्ट ने किसी कारण से उनकी भर्ती पर रोक लगा दी. फिलहाल, मृतक आश्रित कोटे के तहत 50 लोगों का चयन किया गया है, जिन्हें कंडक्टरों के रूप में नियुक्त हो चुकी है. ये सभी अपने काम पर आना भी शुरू कर चुके हैं. हालांकि, बसों में कंडक्टरों की मौजूदा रिक्त पद में इतने लोगों की नियुक्ति से काम नहीं चलने वाला है. साथ ही कंडक्टरों की कमी के कारण रोडवेज बसों का संचालन जरूरत से कम हो रहा है.
रोडवेज के अधिकारी ने क्या कहा?
रोडवेज आरएम संदीप नायक ने बताया कि मेरठ में रैपिड रेल और भविष्य में प्रस्तावित मेट्रो परियोजना के चलते भी रोडवेज पर असर पड़ा है. यात्रियों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है, जिस कारण से भी आर्थिक नुकसान हो रहा है. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में जब इन परियोजनाओं के साथ रोडवेज की कनेक्टिविटी बेहतर होगी, तो विभाग को फायदा मिल सकता है. उनका साफ तौर पर कहना है कि वर्तमान में कंडक्टरों की कमी और रैपिड-मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते रोडवेज आर्थिक संकट से गुजर रहा है.
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